विपक्ष और एनडीए के सहयोगी दल केंद्र सरकार से अध्यादेश लाकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को बदलने की मांग कर रहे थे। इसके बाद केंद्र ने संसद के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ मानसून सत्र में एक बिल पास कर संशोधित कानून बनाया। इसके अनुसार एफआईआर के लिए जांच जरूरी नहीं। जांच अधिकारी को गिरफ्तारी का अधिकार होगा और इसमें अब अग्रिम जमानत भी नहीं मिलेगी।
वहीं राजनीति से जुड़े विश्लेषकों का मानना है कि यह 'सियासी संग्राम' वोटों की राजनीति से प्रेरित है और देश के 17% दलित वोटों को लुभाने की योजना है। उल्लेखनीय है कि इस वर्ग का 150 से अधिक लोकसभा सीटों पर प्रभाव है और वर्तमान में 131 सांसद इसी वर्ग से आते हैं। ऐसे में कोई भी दल इन्हें नाराज नहीं करना चाहता है।