याचिका को सुनवाई के लिए मंजूर करते हुए न्यायालय ने याचिकाकर्ता को याचिका की एक प्रति आयोग के वकील को उपलब्ध कराने को कहा। मामले की अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी। याचिका में आरोप लगाया गया है कि ईवीएम के रखरखाव में चुनाव आयोग निजी कंपनियों के इंजीनियरों का इस्तेमाल करता है, जिस पर रोक लगाई जानी चाहिए और सिर्फ सरकारी अधिकारियों को ही इसके रखऱखाव की इजाजत दी जानी चाहिए।
वहीं अब तक जितने ईवीएम का निर्माण हुआ है, उनकी संख्या चुनाव आयोग के रिकॉर्ड में बताई गई संख्या से कहीं ज्यादा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि चुनाव आयोग से यह पूछा जाना चाहिए कि इतनी बड़ी संख्या में ईवीएम कहां चले गए। (वार्ता)