जानिए क्या है देशद्रोह कानून? कौन हुए गिरफ्तार

शनिवार, 13 फ़रवरी 2016 (18:29 IST)
भारतीय कानून संहिता के अनुच्छेद 124 A के मुताबिक अगर कोई अपने भाषण या लेख या दूसरे तरीकों से सरकार के खिलाफ नफरत फैलाने की कोशिश करता है तो उसे 3 साल तक की कैद हो सकती है। कुछ मामलों में ये सजा उम्रकैद तक हो सकती है।
अभिव्यक्ति की आजादी का हवाला देते हुए गत वर्ष मार्च में सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए के लगातार हो रहे बेजा इस्तेमाल पर उसे तो निरस्त कर दिया था लेकिन यह साफ कर दिया था कि इसका मतलब यह नहीं है कि किसी को कुछ भी कहने या लिखने की आजादी है। संविधान भले ही हर नागरिक को अभिव्यक्ति की आजादी देता है लेकिन उसकी सीमाएं भी संविधान ने तय कर रखी हैं। उन सीमाओं से परे जाकर कही या लिखी गईं बातों के लिए कानून की उचित धाराओं के तहत कार्रवाई हो सकती है।
 
कोर्ट के इस फैसले से सोशल मीडिया पर लिखने-बोलने वालों ने राहत की सांस ली थी, लेकिन तब भी ये साफ था कि कुछ भी लिखने की छूट नहीं है, लेकिन अब महाराष्ट्र सरकार कोर्ट के दिशा-निर्देश के जरिए बोलने वालों की आजादी पर लगाम लगाना चाहती है। 
 
ये हुए गिरफ्तार : कुछ साल पहले कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी पर देशद्रोह का मुकदमा तत्कालीन महाराष्ट्र की कांग्रेस-एनसीपी सरकार ने लगाया था, लेकिन भारी विरोध के बाद सरकार ने देशद्रोह का केस हटा दिया था। असीम ने दिसंबर 2011 में मुंबई में अन्ना आंदोलन के वक्त आपत्तिजनक कार्टून बनाए थे। अब महाराष्ट्र सरकार ने इसी केस में हाई कोर्ट के निर्देश का हवाला सर्कुलर जारी किया है जिसके मुताबिक अगर कोई व्यक्ति लिखकर, बोलकर, संकेतों के जरिए या चित्रों के माध्यम से या किसी भी और तरीके से सरकार के प्रतिनिधि या जनप्रतिनिधि के खिलाफ नफरत, अपमान, अलगाव, दुश्मनी, असंतोष, विद्रोह या हिंसा का भाव पैदा करता है या ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा 124 ए के तहत कार्रवाई हो सकती है। गुजरात में पाटीदार आंदोलन चलाने वाले हार्दिक पटेल पर भी धारा 124 ए के तहत देशद्रोह का मामला आरोपित किया गया था। 
 
कुछेक वर्ष पहले माओवादियों की मदद करने पर डॉ. विनायक सेन पर राजद्रोह बनाकर उन्हें जेल में डाल दिया गया था। बाद में उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत करानी पड़ी थी। कानूनी जानकार कहते हैं कि देशद्रोह गंभीर अपराध है और इसमें सजा के प्रावधान भी किए गए हैं। भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक नागरिक को संवैधानिक तरीके से सरकार की गतिविधियों या क्रियाकलापों का विरोध करने का अधिकार प्राप्त है लेकिन देश की सत्ता को गैरकानूनी तरीके से चुनौती नहीं दी जा सकती है। 
 
जानिए क्या है धारा 124 ए : इस धारा में राष्ट्रपति और राज्यपाल पर अटैक करने वालों को अलग से सजा दिए जाने का प्रावधान है, साथ ही धारा-124 ए में देशदोह के लिए सजा का प्रावधान किया गया है। इसमें दोषी को उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। इसके तहत देश के खिलाफ लिखना, बोलना या फिर ऐसी कोई हरकत जिससे देश के प्रति नफरत का भाव दिखता हो, देशद्रोह की श्रेणी में आता है। 
 
देश विरोधी गतिविधियां : देश विरोधी गतिविधियों में अगर कोई संगठन या पार्टी प्रत्यक्ष रूप से या परोक्ष रूप से लिप्त है तो सरकार नोटिफिकेशन जारी कर उन्हें बैन करती है। माओवादी संगठन से लेकर अन्य कई अलगाववादी संगठन पर बैन है और ऐसे संगठन से संबंध रखने वालों के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियों के तहत मामला दर्ज होता है या फिर अपराध के हिसाब से देशद्रोह या इससे संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया जाता है। 
 
भारतीय दंड संहिता की धारा-121 में देश के खिलाफ युद्ध करने वालों को सजा दी जाती है। इसमें यह प्रावधान है कि अगर कोई भी शख्स देश के खिलाफ युद्ध करता है या प्रयास करता है या फिर ऐसे लोगों को उत्प्रेरित करता है और अदालत में अपराध साबित हो जाए तो सजा के तौर पर उम्रकैद या फिर फांसी की सजा तक दी जा सकती है। 
 
आईपीसी की धारा-121 ए के तहत ऐसे किसी अपराध के लिए साजिश रचने के लिए 10 साल कैद या फिर उम्रकैद की सजा का प्रावधान किया गया है। हाई कोर्ट में सरकारी वकील नवीन शर्मा के मुताबिक देश के खिलाफ युद्ध की साजिश रचने वालों के खिलाफ या फिर ऐसे लोगों से साठगांठ रखने वालों के खिलाफ मामला बनता है। इस धारा में प्रावधान है कि अगर देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की मंशा से कोई हथियार या गोला-बारूद जमा करता है या फिर ऐसी कोशिश करता है और दोष साबित हो जाए तो 10 साल कैद या उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है। (एजेंसियां)

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