Sharad Pawar Resigns:मंगलवार का दिन महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ी हलचल लेकर आया। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार (Sharad Pawar) ने अचानक से पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान कर दिया है। 83 साल के शरद पवार के इस एलान के बाद महाराष्ट्र की पूरी सियासत गर्मा गई है। मुंबई में एक कार्यक्रम में शरद पवार ने कहा कि वह अब अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी नहीं संभालना चाहते है और अध्यक्ष पद से रिटायर होना चाहते है। शरद पवार ने कहा कि वह अब चाहते है कि कोई और यह जिम्मेदारी संभाले।
शरद पवार के अध्यक्ष पद से छोड़ने के एलान के बाद अब पार्टी के अंदर उनको मनाने की कवायद तेज हो गई है। शरद पवार को मनाने में एनसीपी के बड़े नेता जुटे हुए लेकिन शरद पवार ने साफ कर दिया है कि वह अपने फैसले से पीछे नहीं हटेंगे। शरद पवार का इस्तीफा ऐसे समय सामने आया है जब पिछले दिनों शरद पवार ने कहा था कि रोटी पलटने का वक्त आ गया है और अब उन्होंने अचानक पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान कर दिया।
शरद पवार का इस्तीफा क्या NCP को बचाने की कवायद?- NCP अध्यक्ष पद को छोड़ने के शरद पवार का निर्णय ऐसे समय आया है जब महाराष्ट्र की राजनीति में किसी बड़े उलटफेर की अटकलें लगाई जा रही थी, जिसमें शरद पवार की पार्टी NCP की एक अहम भूमिका मानी जा रही थी। दरअसल पिछले कुछ दिनों से महाराष्ट्र की सियासत में NCP को लेकर कई तरह की सियासी अटकलें लगाई जा रही थी।
शरद पवार के बाद पार्टी में नंबर-2 की हैसियत रखने वाले अजित पवार को लेकर कई तरह के अटकलें लगाई जा रही थी। अटकलें इस बात की भी थी कि अजित पवार के अगुवाई में पार्टी विधायकों का एक गुट भाजपा के साथ जाना चाहता था। जबकि शरद पवार किसी भी सूरत में भाजपा के साथ नहीं जाना चाहते थे। अजित पवार के भाजपा के साथ जाने की अटकलों को खुद शरद पवार ने खारिज करते हुए कहा था कि अजित पवार कहीं नहीं जा रहे है और सब मीडिया की खबरें है। इसके बाद अजित पवार ने खुद सामने आकर भाजपा के साथ जाने की खबरों को निराधार बताया था और कहा था कि वह पूरी तरह एनसीपी में है और महाराष्ट्र विकास अघाड़ी के साथ है।
शरद पवार के इस्तीफे पर बंटी NCP-आज जब शरद पवार ने इस्तीफे का एलान किया तो उसके बाद पार्टी दो खेमों में बंटी हुई नजर आई। एक ओऱ जहां एनसीपी के नेता शरद पवार को कार्यक्रम स्थल पर मनाने में जुट गए तो दूसरी पार्टी में नंबर-2 की हैसियत रखने वाले अजित पवार ने शरद पवार के फैसले का समर्थन करते हुए कहा कि यह फैसला पहले एक मई को होना था लेकिन महाविकास अघाड़ी की रैली के चलते आज यह फैसला किया गया। अजित पवार ने कहा कि पार्टी में नया नेतृत्व लाने के लिए शरद पवार ने उम्र को देखकर ये फैसला लिया है और अब पार्टी की कमेटी जो भी फैसला लेगी, वो मान्य होगा।
हलांकि अजित पवार ने आगे कहा कि एनसीपी का मतलब ही शरद पवार है, जो भी नया अध्यक्ष होगा वह पवार साहब के मार्गदर्शन में काम करेगा। वहीं अजित पवार ने कहा कि पूरी पार्टी एक साथ है और हम उनके साथ हैं। हालांकि उन्होंने ये भी साफ कर दिया कि शरद पवार अपना फैसला वापस नहीं लेंगे। वहीं दूसरी ओर एनसीपी नेताओं का एक गुट शरद पवार को अपने फैसले से पीछे हटने के लिए सुप्रिया सुले के दखल की मांग कर रहा है, लेकिन सुप्रिया सुले पिता के इस निर्णय पर पूरी तरह चुप है।
BJP के साथ जाएगी NCP?- ऐसे में अब शरद पवार ने अचानक से पार्टी के अध्यक्ष पद छोड़ने की इच्छा जाहिर करना महाराष्ट्र में आने वाले किसी बड़े सियासी घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है। सवाल यह भी उठ रहा है कि क्या आने वाले समय में एनसीपी भाजपा के साथ जा सकती है। ऐसे में जब पिछले दिनों इस बात की अटकलें थी कि NCP के 30 से अधिक विधायक अजित पवार के साथ भाजपा के साथ जा सकते है तब तेजी से बदलने घटनाक्रम में फिर इस बात की अटकलें तेज हो गई है।
आज अपनी मराठी भाषा में आत्मकथा लोक माझे सांगाती' के विमोचन पर शरद पवार ने कहा अजित पवार के भाजपा के साथ जाने के फैसले का जिक्र करते हुए कहा भी कि वह अजित पवार के फैसले से हैरान थे। शरद पवार ने अपनी आत्मकथा में लिखा कि जब उन्हें पता चला कि उनका भतीजा राजभवन में "शपथ ले रहा है" तो वे "हैरान" थे। शरद पवार ने किताब में यह भी लिखा कि उनके नाम पर पार्टी विधायकों को गुमराह भी किया गया था।
2024 की विपक्ष की एकजुटता मुहिम को झटका- शरद पवार का इस्तीफा न केवल महाराष्ट्र की राजनीति को प्रभावित करेगा बल्कि इसका असर राष्ट्रीय राजनीति पर पड़ेगा। 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले इन दिनों जो विपक्ष को एकजुटता करने की मुहिम चल रही थी उसमें शरद पवार एक महत्वपूर्ण कड़ी थी और अब जब उन्होंने एनसीपी अध्यक्ष से इस्तीफा दे दिया है तब विपक्ष की इस मुहिम को भी बड़ा झटका लगा है। राष्ट्रीय राजनीति में शरद पवार एक ऐसे राजनेता थे जब विपक्ष की एकजुटता मुहिम में चाणक्य की भूमिका निभा रहे थे। शरद पवार लगातार मोदी सरकार पर हमलावर थे और विपक्ष को एकसूत्र में बांधने की कोशिश भी कर रहे थे। ऐसे में अब जब शरद पवार ने एनसीपी अध्यक्ष पद छोड़ने का एलान कर दिया था तब उनकी आगे राष्ट्रीय राजनीति में क्या भूमिका होगी, इस पर भी संदेह का बादल मंडरा गए है।