‘हिंदुत्व’ की सफलता का मतलब भारत की अवधारणा का अंत
शनिवार, 31 अक्टूबर 2020 (16:15 IST)
नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने हिंदुत्व को 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब करार देते हुए कहा है कि इसकी सफलता का मतलब यह होगा कि भारतीय अवधारणा (इंडियन आइडिया) का अंत हो गया।
उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि हिंदुत्व कोई धार्मिक नहीं, बल्कि राजनीतिक सिद्धांत है। थरूर ने अपनी नई पुस्तक द बैटल ऑफ बिलॉंगिंग में कहा कि हिंदू भारत किसी भी तरह से हिंदू नहीं होगा, बल्कि संघी हिंदुत्व राज्य होगा जो पूरी तरह से अलग तरह का देश होगा। उनकी इस पुस्तक का शनिवार को विमोचन हुआ।
कांग्रेस सांसद ने कहा कि मेरे जैसे लोग जो अपने प्यारे भारत को संजोए रखना चाहते हैं, उनकी परवरिश इस तरह हुई है कि वे धार्मिक राज्य का तिरस्कार करें। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदुत्व आंदोलन की जो बयानबाजी है, उससे उसी कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिसको खारिज करने के लिए भारत का निर्माण हुआ था।
एलेफ बुक कंपनी द्वारा प्रकाशित इस पुस्तक में थरूर ने हिंदुत्व और संशोधित नागरिकता कानून (CAA) की आलोचना की है। उनका कहना है कि ये भारतीयता के बुनियादी पहलू के लिए चुनौती है।
अपने हिंदू पाकिस्तान वाले बयान से संबंधित विवाद को समर्पित एक पूरे अध्याय में पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने सत्ताधारी पार्टी की ओर से पाकिस्तान का हिंदुत्व वाला संस्करण बनाने के प्रयास की निंदा की थी क्योंकि इसके लिए हमारा स्वतंत्रता आंदोलन नहीं था और न ही यह भारत की अवधारणा है, जिसे हमारे संविधान में समाहित किया गया।
वह लिखते हैं कि यह सिर्फ अल्पसंख्यकों के बारे में नहीं है जैसा भाजपा हमें मनवाना चाहेगी। मेरे जैसे बहुत सारे गौरवान्वित हिंदू हैं जो अपनी आस्था के समावेशी स्वभाव को संजोते हैं और अपने पड़ोसी देश पाकिस्तान के लोगों की तरह असहिष्णु एवं एक धर्म आधारित राज्य में रहने का इरादा नहीं रखते।
थरूर ने कहा कि हिंदुत्व हिंदू धर्म नहीं है। यह एक राजनीतिक सिद्धांत है, धार्मिक नहीं है। सीएए की आलोचना करते हुए थरूर ने कहा कि यह पहला कानून है जो देश की उस बुनियाद पर सवाल करता है कि धर्म हमारे पड़ोस और हमारी नागरिकता को तय करने का पैमाना नहीं हो सकता।
हिंदुत्व के संदर्भ में कांग्रेस नेता इस पुस्तक में लिखते हैं, हिंदुत्व आंदोलन 1947 की मुस्लिम सांप्रदायिकता का प्रतिबिंब है। इससे संबंधित बयानबाजी से उस कट्टरता की गूंज सुनाई देती है जिसे खारिज करने के लिए भारत का निर्माण हुआ था।
एआईएमआईएम नेता वारिस पठान के भारत माता की जय का नारा नहीं लगाने से जुड़े विवाद का उल्लेख करते हुए थरूर ने कहा कि कुछ मुस्लिम कहते हैं कि हमें जय हिंद, हिंदुस्तान जिंदाबाद, जय भारत कहने के लिए कहिए, लेकिन भारत माता की जय कहने के लिए मत कहिए।
उन्होंने कहा कि यह संविधान हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की आजादी देता है और हमें चुप रहने की भी आजादी देता है। हमें दूसरों के मुंह में अपने शब्द नहीं डाल सकते। (भाषा)