संपादकीय में कहा गया, चक्रवात की चेतावनी पहले ही दे दी गई थी, लेकिन ओएनजीसी ने इसे नजरअंदाज कर दिया और बजरे पर मौजूद 700 कर्मियों को वापस नहीं बुलाया। बार्ज डूब गया और 75 कर्मियों की मौत हो गई, जबकि 49 शव मिल गए हैं और 26 अभी भी लापता हैं।
उसमें कहा गया, अगर भारतीय नौसेना और तटरक्षक बल ने खोज और बचाव अभियान शुरू नहीं किया होता, तो सभी 700 लोग समुद्र में डूब जाते। ये कर्मचारी भले ही किसी निजी कंपनी के कर्मचारी हों, लेकिन ये ओएनजीसी के लिए काम कर रहे थे। इसलिए उनकी रक्षा करना ओएनजीसी प्रशासन का कर्तव्य था।(भाषा)