सिंधु जल संधि पर विश्व बैंक के फैसले से भारत खुश

बुधवार, 14 दिसंबर 2016 (08:39 IST)
नई दिल्ली। भारत ने कहा कि किशनगंगा और रतले परियोजना को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच विवाद के निपटारे के सिलसिले में एक साथ चलने वाली दो प्रक्रियाएं अस्थायी तौर पर रोकने का विश्व बैंक का फैसला इस बात की पुष्टि करता है कि दोनों प्रक्रियाएं साथ-साथ चलने की सूरत में सिंधु जल संधि अव्यावहारिक हो जाती।
 
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने कहा कि भारत अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों को लेकर पूरी तरह सचेत है और इन दोनों परियोजनाओं के बाबत मौजूदा मतभेदों को सुलझाने को लेकर और विचार-विमर्श करने के लिए तैयार है।
 
स्वरूप ने कहा कि सरकार ने 10 नवंबर 2016 को कहा था कि किशनगंगा और रतले परियोजनाओं पर भारत और पाकिस्तान के बीच तकनीकी मतभेद सुलझाने को लेकर फैसला करने के लिए विश्व बैंक की ओर से दो प्रक्रियाएं (भारत के अनुरोध पर एक निष्पक्ष विशेषज्ञ की नियुक्ति और पाकिस्तान के अनुरोध पर मध्यस्थता अदालत की स्थापना) एक साथ शुरू करना व्यावहारिक नहीं है।
 
उन्होंने कहा कि दोनों प्रक्रियाओं को अस्थायी तौर पर रोक देने से अब विश्व बैंक ने पुष्टि कर दी है कि दोनों प्रक्रियाएं साथ-साथ चलने से यह संधि समय के साथ अव्यावहारिक हो जाती है। (भाषा) 

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