राहुल की स्वीकारोक्ति सोनिया गांधी पर तंज : स्मृति ईरानी

Webdunia
मंगलवार, 12 सितम्बर 2017 (14:55 IST)
नई दिल्ली। राहुल गांधी के बर्कले यूनिवर्सिटी में दिए भाषण पर अपनी प्रतिक्रिया में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने कहा कि कांग्रेस उपाध्यक्ष का यह कहना अपने आप में एक बहुत बड़ी स्वीकारोक्ति है कि साल 2012 में कांग्रेस में अहंकार आ गया था और उनका इसे चुनाव में पार्टी की हार से जोड़ना कांग्रेस के लिए चिंतन का विषय है क्योंकि इससे वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर तंज कर रहे हैं।
 
राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए भाजपा नेता ने कहा, 'एक विफल वंशवादी ने अपनी विफल राजनीतिक यात्रा के बारे में अमेरिका में चर्चा की। भारत में वंशवाद को कोई समर्थन प्राप्त नहीं है।'
 
स्मृति ईरानी ने संवाददाताओं से कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसना राहुल गांधी की पुरानी आदत है। यह उनकी नाकाम रणनीति है। वह अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी राजनीतिक पीड़ा व्यक्त कर रहे थे लेकिन वह भूल गए कि 2014 में वोटर ने वोट के माध्यम से नरेंद्र मोदी में अपना विश्वास व्यक्त किया।
 
स्मृति ने कहा कि राहुल जिस देश के नागरिक है, उस देश के लोग उनके कथन का समर्थन नहीं कर रहे हैं और इसके बाद अब वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पीड़ा व्यक्त कर रहे हैं। लेकिन उन्हें समझना चाहिए कि इस देश के नागरिक ही वोटर होते हैं और देश के मतदाता अपने वोट के जरिये प्रधानमंत्री मोदी में विश्वास व्यक्त कर चुके हैं।
 
उन्होंने कहा कि राहुल द्वारा 2012 में कांग्रेस में अहंकार आने की बात कहना बहुत बड़ी स्वीकारोक्ति है। यह कांग्रेस के लिए चिंतन का विषय है क्योंकि इसके जरिए वह कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर भी तंज कर रहे हैं क्योंकि उस समय सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्षा थीं।
 
स्मृति ने कहा कि आज अगर राहुल गांधी की सफलता और विफलता का सही मापदंड देखना चाहते हैं तो अमेठी जाकर देखना चाहिए, वह इस बारे में चर्चा कर रहे थे कि भारत को कैसे सुनहरा भविष्य दे सकते हैं। ऐसे में अगर अमेठी के विकास पर चर्चा हो तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाए।
 
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने विदेश में कहा कि हिन्दुस्तान तो ऐसा ही है जहां वंशवाद से सब कुछ चलता है तो शायद वह भूल गए कि हिन्दुस्तान में कई ऐसे नागरिक हैं जो कई क्षेत्रों में योगदान देते हैं लेकिन उनकी कोई राजनीतिक विरासत नहीं है। प्रधानमंत्री मोदी भी गरीब परिवार से आते हैं, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद दलित परिवार से आते हैं। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी किसान परिवार से आते हैं और संघर्ष के बाद यहां तक पहुंचे हैं। इन तीन सर्वोच्च पदों पर इन व्यक्तियों का होना बताता है कि लोकतंत्र में परिवारवाद नहीं बल्कि प्रतिभा की जगह होती है।
 
जीएसटी पर राहुल गांधी की टिप्पणी पर स्मृति ने कहा कि कांग्रेस और राहुल गांधी को यदि दूसरों को सुनने की आदत होती तो कांग्रेस के शासनकाल में ही जीएसटी पास हो जाता। 
 
स्मृति ईरानी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के कार्यकाल में जीएसटी पारित नहीं होना अपने आप में इस बात का संकेत है कि उसने प्रदेशों और राज्य सरकारों को विश्वास में लेने का प्रयास नहीं किया।
 
उन्होंने जोर दिया कि दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में जीएसटी के विषय पर सभी दलों और प्रदेश सरकारों को विश्वास में लिया गया। यह सहकारी संघवाद और बेहतर राजनीतिक संवाद का उदाहरण है। वित्त मंत्री अरूण जेटली भी बार बार यह दोहराते रहे हैं कि जीएसटी के बारे में जो भी फैसले लेते हैं, वे सभी प्रदेश सरकारों की सहमति से होते हैं।
 
खबरों के अनुसार, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने बर्कले यूनिवर्सिटी में मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आज नफरत और हिंसा की राजनीति हो रही है। हिंसा का मतलब मुझसे बेहतर कौन जान सकता है। हिंसा में मैंने अपने पिता और दादी को खोया है। उन्होंने कहा कि संसद को अंधेरे में रखकर नोटबंदी लाई गई और नोटबंदी से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है।
 
राहुल ने यह भी कहा कि वह प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने को तैयार हैं, अगर पार्टी कहेगी तो जिम्मेदारी लूंगा। राहुल ने वंशवाद पर कहा कि हमारा देश परिवारवाद से ही चलता है. उन्होंने कहा, परिवारवाद पर हमारी पार्टी पर निशाना न साधें, हमारा देश इसी तरह काम करता है। इसमें मैं कुछ नहीं कर सकता हूं। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि 2012 में कांग्रेस पार्टी के अंदर अहंकार भर गया था और पार्टी ने जनता से संवाद कम कर दिया, जिसके चलते लोगों से दूरी बन गई। (भाषा) 
 

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