अनिल कुमार श्रीवास्‍तव फाउंडेशन के साहित्य उत्सव 'शब्द’ का सफल आयोजन, देशभर के कवि-लेखकों ने की शिरकत

मंगलवार, 1 नवंबर 2022 (14:13 IST)
कालजयी अनिल कुमार श्रीवास्‍तव फाउंडेशन के महत्‍वपूर्ण दो दिवसीय साहित्‍यिक उत्‍सव ‘शब्‍द’ का जबलपुर में सफल आयोजन हुआ। इस समारोह में दिल्‍ली, मुंबई, नागपुर, इलाहाबाद, बनारस, इंदौर, भोपाल और सवाई माधोपुर समेत देशभर के कई शहरों से ख्‍यात, लोकप्रिय कवि- लेखक और साहित्‍यकारों ने हिस्‍सा लिया। इस साहित्यिक उत्सव 'शब्द का आयोजन 29 और 30 अक्‍टूबर को संस्कृति थिएटर कल्चरल स्ट्रीट भंवरताल में साकार हुआ। इस दौरान कविता पाठ, कहानी पाठ, कहानी पर विमर्श और नाटक का मंचन और साहित्‍यिक परिचर्चाएं हुईं।
आखर जोगी सम्‍मान
फाउंडेशन का पहला ‘आखर जोगी’ सम्‍मान हिंदी कविता के लिए जबलपुर के कवि मलय और संस्‍कृत भाषा और वांग्‍मय के लिए आचार्य कृष्‍णकांत चतुर्वेदी को दिया गया। यह सम्‍मान फाउंडेशन की संरक्षक प्रेमलता श्रीवास्‍तव ने प्रदान किया।
कहानी और नाटक पर विमर्श
आयोजन की शुरुआत कहानी सत्र से हुई, जिसमे कहानीकार मनोज रूपडा, राजीव शुक्‍ल और राजेंद्र दानी ने अपनी अपनी कहानियों का पाठ किया। इसके बाद उनकी कहानियों पर विमर्श किया गया। इसके बाद वाले सत्र में डॉ अरुण कुमार ने कबीर की प्रासंगिकता पर अपने विचार व्‍यक्‍त किए। आशीष पाठक ने भारतीय नाटक और भास पर अपने विचार प्रकट किए। इस आयोजन में कविताओं की सांगीतिक प्रस्‍तुति भी दी गई, जिसमें डॉ शिप्रा सुल्‍लुरे, तापसी मुरलीधर और उनके साथियों ने प्रभावी प्रस्‍तुतियां दीं।

नाटक की प्रस्‍तुति
कार्यक्रम में आखिरी दिन नाटक का मंचन किया गया। जिसमें नाटक ‘पर्दा उठाओ, पर्दा गिराओ’ ‘चिठ्ठी जो भेजी नहीं गई’ और ‘दूसरा पुल’ नाटक का मंचन किया गया। इन सारी प्रस्‍तुतियों में विवेचना रंगमंडल के कलाकारों समेत संतोष राजपूत, मनीष तिवारी का अभिनय में योगदान रहा। वहीं निर्देशन अरुण पांडे और प्रगति विवेक पांडेय का था।
परसाई के व्‍यक्‍तित्‍व पर चर्चा
उत्‍सव के एक सत्र में अरुण पांडेय और हिमांशु राय ने लोकप्रिय लेखक और व्‍यंग्‍यकार हरिशंकर परसाई के व्‍यक्‍तित्‍व पर विस्‍तार से चर्चा की। इस दौरान उनके लेखन, व्‍यंग्‍य और भाषा समेत कई पहलुओं पर हुई बातचीत बेहद प्रभावी रही।
सिनेमा पर बातचीत
दूसरे सत्र में सिनेमा पर मुंबई के सत्‍यदेव त्रिपाठी और जबलपुर से पंकज स्‍वामी ने विस्‍तार से चर्चा की। इस दौरान प्रश्‍नोत्‍तर भी आयोजित किए गए। वक्‍ताओं ने इस दौरान कई फिल्‍मों के साथ ही भारतीय सिनेमा के इतिहास और आज के सिनेमा को लेकर तुलनात्‍मक चर्चा को विस्‍तार दिया।
कविताओं ने मोहा मन
पहले और दूसरे दिन शाम का सत्र कविताओं की खूश्‍बू से महक उठा। कई शहरों से आए कवियों की कविता पाठ ने जबलपुर के श्रोताओं का मन मोह लिया। काव्‍य संध्‍या सत्र में प्रयागराज से हरिशचंद्र पांडेय, सवाई माधोपुर से विनोद पदराज, बनारस से व्‍योमेश शुक्‍ल, दिल्‍ली से अविनाश मिश्र, पंकज चतुर्वेदी और इंदौर से नवीन रांगियाल ने अपनी कविताओं का पाठ किया।
कालजयी अनिल कुमार फाउंडेशन की तरफ से इस पूरे आयोजन में प्रेमलता श्रीवास्‍तव, अलंकृति श्रीवास्‍तव, अनुकृति श्रीवास्‍तव और उनके परिवार के कई सदस्‍यों समेत जबलपुर और आसपास के शहरों से आए हजारों साहित्‍य प्रेमी और श्रोतागण उपस्‍थित थे। इस पूरे आयोजनका सफल संचालन विवेक चतुर्वेदी, आशुतोष द्विवेदी और संतोष द्विवेदी ने किया। बता दें कि कालजयी अनिल कुमार श्रीवास्‍तव फाउंडेशन का यह साहित्‍यिक और सांस्‍कृतिक आयोजन लगातार राष्‍ट्रीय स्‍तर पर लोकप्रिय और चर्चित होता जा रहा है।
Written & Edited: By Navin Rangiyal

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