अदालत ने कहा कि अगर आपको सबूतों की जानकारी थी तो आपने पहले सबूतों को पेश क्यों नहीं किया? आपने अपनी याचिका ऑनलाइन डाल दी है। जानते हैं किसी की निजता पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा? क्या आपको पता नहीं है कि जिसने याचिका दाखिल की है वह किसी राजनीतिक पार्टी से है और जिसके खिलाफ आरोप है वह दूसरी राजनीतिक पार्टी से है, जो विपक्ष में है।
अदालत ने स्वामी से पूछा- हम अभी तक आपके लिए धैर्ययुक्त रहे हैं, लेकिन आप बताइए कि आपकी याचिका का आधार क्या है? हाई कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये एक उदाहरण है कि कैसे जनहित याचिका को राजनीतिक हित की याचिका का पहनावा किया जाता है।