नई दिल्ली। गोरक्षा के नाम पर होने वाली भीड़ की हिंसा मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संसद से गोरक्षा के नाम पर कानून बनाने पर विचार करने को कहा है।
चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने कहा कि भीड़ को हिंसा की इजाजत नहीं की जा सकती। अदालत ने कहा कि शांति स्थापित करना राज्य सरकारों का दायित्व है। हिंसा फैसाने की इजाजत नहीं दी जा सकती। किसी को कानून हाथ में लेने का हक नहीं।
उल्लेखनीय है कि गोरक्षा के नाम पर हो रही भीड़ की हिंसा पर रोक लगाने के संबंध में दिशा-निर्देश जारी करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई थी।
याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ये राज्य सरकारों का दायित्व है कि वह इस तरह से हो रही भीड़ की हिंसा को रोकें ये सिर्फ कानून व्यवस्था का सवाल नहीं है, बल्कि गोरक्षा के नाम पर भीड़ की हिंसा क्राइम है। अदालत इस बात को स्वीकार नहीं कर सकती कि कोई भी कानून को अपने हाथ में ले।
गोरक्षा के नाम पर हिंसक गतिविधियों पर रोक के लिए गाइडलाइंस जारी करने के लिए दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने उक्त टिप्पणी करते हुए फैसला 17 जुलाई तक के लिए सुरक्षित रखा था।