प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा कि ऐसी घटनाएं परेशान कर देने वाली हैं लेकिन हाईकोर्ट ऐसे मामलों का निपटारा करने में समर्थ है।
पीठ ने कहा कि बेशक, ये परेशान करने वाली घटनाएं हैं। आमतौर पर ऐसी घटनाओं को बड़ा मुद्दा बनाने के लिए याचिकाएं दायर की जाती हैं। हाईकोर्ट ऐसे मामलों का निपटारा कर सकता है। याचिका खारिज की जाती है।
तिवारी ने कहा कि ऐसी घटनाओं से निपटने के लिए उचित चिकित्सा सुविधाओं की अनुपलब्धता का मुद्दा पूरे भारत में चिंता का विषय है। ऐसे में उच्चतम न्यायालय भी इस मामले की सुनवाई कर सकता है। प्रधान न्यायाधीश ने याचिकाकर्ता की इस दलील को खारिज कर दिया।
याचिकाकर्ता ने हाथरस जिले के फुलरई गांव में 2 जुलाई को आयोजित सत्संग में हुई भगदड़ की घटना की जांच के लिए सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश की निगरानी में 5 सदस्यीय विशेषज्ञ समिति नियुक्त किए जाने की अपील की थी।
हाथरस जिले के फुलरई गांव में भोले बाबा के सत्संग में 2.5 लाख से अधिक भक्त एकत्र हुए थे। भोले बाबा को नारायण हरि और साकार विश्वहरि के नाम से भी जाना जाता है।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस मामले में आयोजकों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है। इसमें सबूत छिपाने और शर्तों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया गया है। इस कार्यक्रम में 2.5 लाख लोग इकट्ठा हुए थे, जबकि केवल 80,000 लोगों के लिए ही अनुमति दी गई थी।