न्यायमूर्ति इंदिरा बनर्जी और न्यायमूर्ति जेके माहेश्वरी की पीठ ने, हालांकि याचिकाकर्ता को इस मामले में राहत के लिए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी। पीठ ने याचिकाकर्ता सिकंदर बहल से कहा कि संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका केवल तभी दायर की जा सकती है, जब मौलिक अधिकारों के हनन का सवाल हो।
पीठ ने वकील से पूछा कि याचिकाकर्ता ने सीधे शीर्ष अदालत का दरवाजा क्यों खटखटाया, इस पर वकील ने कहा कि फिल्म को सेंसर बोर्ड से मंजूरी नहीं मिली है और यह पूरे देश में दिखाई जा रही है। इसलिए उन्हें सीधे उच्चतम न्यायालय आना पड़ा है, क्योंकि उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र केवल उसी राज्य तक ही सीमित है, लेकिन शीर्ष अदालत इस दलील से संतुष्ट हीं हुई।