Supreme Court requests : उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने सोमवार को उस याचिका पर विचार करने पर सहमति व्यक्त की जिसमें समाज में महिलाओं, बच्चों और 'ट्रांसजेंडर' व्यक्तियों को सुरक्षित माहौल उपलब्ध कराने के लिए अखिल भारतीय दिशानिर्देश (All India Guidelines) तैयार करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।
अपराधियों को रासायनिक बधियाकरण जैसी सजा मिले : पावनी ने कहा कि कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक प्रशिक्षु डॉक्टर से बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के बाद यौन हिंसा की लगभग 95 घटनाएं हुई हैं, लेकिन वे सामने नहीं आ पाई हैं। उन्होंने कहा कि स्कैंडिनेवियाई (उत्तरी यूरोप के) देशों की तरह ऐसे (यौन हिंसा के) अपराधियों को रासायनिक बधियाकरण जैसी सजा मिलनी चाहिए।
पीठ ने कहा कि वह याचिका में उल्लिखित कई अर्जियों पर विचार नहीं करेगी, क्योंकि वे बर्बर और कठोर हैं, लेकिन कुछ मुद्दे ऐसे हैं, जो बिलकुल नए हैं और उनकी जांच की जरूरत है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन में उचित व्यवहार बनाए रखने का प्रश्न विचारणीय मुद्दों में से एक है और इस बारे में जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता है कि बसों, मेट्रो और ट्रेनों में किस प्रकार का व्यवहार करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपयोगिता के वाहनों में क्या करें और क्या नहीं करें, इस बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। पीठ ने कहा कि सार्वजनिक परिवहन में उचित सामाजिक व्यवहार बारे में न केवल सिखाया जाना चाहिए बल्कि इसे सख्ती से लागू भी किया जाना चाहिए, क्योंकि एयरलाइनों से भी कुछ अनुचित घटनाएं सामने आई हैं।
न्यायालय ने निर्देश दिया कि अटॉर्नी जनरल के कार्यालय के माध्यम से संबंधित मंत्रालयों और उसके विभागों को नोटिस जारी किया जाए। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि हम आम महिलाओं के लिए राहत के अनुरोध के आपके प्रयास की सराहना करते हैं जिन्हें रोजमर्रा की जिंदगी में संघर्ष का सामना करना पड़ता है। एसोसिएशन महिलाओं की सुरक्षा के लिए अखिल भारतीय स्तर पर दिशानिर्देश, सुधार और उपाय का अनुरोध कर रही है।(भाषा)