सुप्रीम कोर्ट का अहम फैसला, आरक्षित वर्ग को नहीं मिलेगी सामान्य सीट

शनिवार, 22 अप्रैल 2017 (18:46 IST)
नई दिल्ली। आरक्षण के मामले में उच्चतम न्यायालय ने एक अहम निर्णय दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को आरक्षित वर्ग में ही नौकरी मिलेगी, फिर भले ही उसने सामान्य वर्ग के प्रत्याशी से ज्यादा ही अंक क्यों न हासिल किए हों। 
 
न्यायमूर्ति आर भानुमति और जस्टिस एएम खानविलकर की पीठ ने कहा कि एक बार आरक्षित वर्ग में आवेदन कर उसमें छूट लेने के बाद कोई भी व्यक्ति आरक्षित वर्ग के लिए ही नौकरी का हकदार होगा। उसे सामान्य वर्ग में समायोजित नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला एक याचिका के जवाब में दिया है। याचिकाकर्ता का कहना था कि उसे सामान्य वर्ग में नौकरी दी जाए, क्योंकि उसने लिखित परीक्षा में सामान्य वर्ग के उम्मीदवारों से ज्यादा अंक हासिल किए हैं।
 
क्या है पूरा मामला : दीपा पीवी नामक महिला ने वाणिज्य मंत्रालय के अधीन भारतीय निर्यात निरीक्षण परिषद में लैब सहायक ग्रेड-2 के लिए ओबीसी श्रेणी में आवेदन किया था। इसके लिए हुई परीक्षा में उसने 82 अंक प्राप्त किए। ओबीसी श्रेणी में उसे मिलाकर कुल 11 लोगों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया, लेकिन इसी वर्ग में 93 अंक लाने वाली सेरेना जोसेफ को चुन लिया गया।
 
दूसरी ओर सामान्य वर्ग का में न्यूनतम कटऑफ अंक 70 थे, लेकिन कोई भी उम्मीदवार ये अंक नहीं ला पाया। दीपा ने खुद को सामान्य श्रेणी में समायोजित करने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे निरस्त कर दिया। इसके बाद वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। 
 
क्या कहता है नियम : कोर्ट ने कहा कि डीओपीटी की 1 जुलाई 1999 की कार्यवाही के नियम तथा ओएम में साफ है कि एससी/एसटी और ओबीसी के उम्मीदवार को, जो अपनी मेरिट के आधार पर चयनित होकर आए हैं, उन्हें आरक्षित वर्ग में समायोजित नहीं किया जाएगा। इसी तरह जब एससी/एसटी और ओबीसी उम्मीदवारों के लिए छूट के मानक जैसे उम्रसीमा, अनुभव, शैक्षणिक योग्यता, लिखित परीक्षा के लिए अधिक अवसर दिए गए हों तो उन्हें आरक्षित रिक्तियों के लिए ही विचारित किया जाएगा। ऐसे उम्मीदवार अनारक्षित रिक्तियों के लिए हक नहीं जता सकेंगे। 

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