Supreme Court news in hindi : सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को अपनी उन टिप्पणियों को हटा दिया, जिसमें उसने एक दीवानी मामले में आपराधिक कार्यवाही की अनुमति देने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश प्रशांत कुमार की आलोचना की थी। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि उसका उद्देश्य न्यायाधीश प्रशांत कुमार को शर्मिंदा करने या उन पर आक्षेप लगाना नहीं था।
न्यायमूर्ति पारदीवाला और न्यायमूर्ति महादेवन की पीठ ने 4 अगस्त को एक अप्रत्याशित आदेश में इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के सेवानिवृत्त होने तक उनके रोस्टर से आपराधिक मामलों को हटा दिया, क्योंकि उन्होंने एक दीवानी विवाद में आपराधिक प्रकृति के समन को बरकरार रखा था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक समूह ने मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली को पत्र लिखकर आग्रह किया कि वह एक पूर्ण अदालत बैठक बुलाएं, ताकि उच्चतम न्यायालय के उस आदेश पर चर्चा हो सके जिसमें न्यायमूर्ति कुमार को आपराधिक रोस्टर से हटाने का निर्देश दिया गया था। यह पत्र न्यायमूर्ति अरिंदम सिन्हा ने 4 अगस्त को पारित सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दुख व्यक्त करते हुए लिखा था, जिस पर सात न्यायाधीशों ने हस्ताक्षर किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में न्यायमूर्ति कुमार की न्यायिक तर्कशक्ति पर कड़ी टिप्पणियां की थीं और इलाहाबाद उच्च न्यायालय प्रशासन को निर्देश दिया था कि उन्हें आपराधिक रोस्टर से हटा दिया जाए। साथ ही, न्यायालय ने यह भी कहा कि उनकी सेवानिवृत्ति तक उन्हें एक वरिष्ठ न्यायाधीश के साथ खंडपीठ में ही काम सौंपा जाए।