नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि वह इस बात की जांच करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति गठित करने पर विचार कर सकता है कि क्या मौत की सजा पर अमल के लिए फांसी की सजा आनुपातिक और कम दर्दनाक है। इतना ही नहीं, न्यायालय ने मृत्युदंड के तरीके से जुड़े मुद्दों पर बेहतर डेटा उपलब्ध कराने का भी केंद्र को निर्देश दिया है।
पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि हम विधायिका को यह नहीं कह सकते कि आप इस तरीके को अपनाएं, लेकिन आप (पीआईएल याचिकाकर्ता) निश्चित रूप से तर्क दे सकते हैं कि कुछ अधिक मानवीय तरीका अपनाया जा सकता है ... घातक इंजेक्शन भी इसका एक तरीका हो सकता है।
इसने पैनल के मुद्दे पर कहा कि अगर मौत की सजा देने के वैकल्पिक तरीकों के बारे में भारत या विदेश में कोई डेटा है तो बेहतर होगा कि एक पैनल बनाया जाए, जिसमें राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों, एम्स के चिकित्सकों और वैज्ञानिकों को शामिल किया जा सके।
पीठ ने अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि से फांसी से मौत के प्रभाव, उससे होने वाले दर्द और ऐसी मौत होने में लगने वाली अवधि तथा ऐसी फांसी को प्रभावी करने के लिए संसाधनों की उपलब्धता के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करने को कहा।