तीस्ता सीतलवाड़ को SC से राहत नहीं, जमानत पर अब बड़ी बेंच देगी फैसला
शनिवार, 1 जुलाई 2023 (21:10 IST)
नई दिल्ली। Teesta Setalvad : सुप्रीम कोर्ट की 3 न्यायाधीशों की पीठ तीस्ता सीतलवाड़ की जमानत याचिका पर शनिवार रात सवा नौ बजे विशेष बैठक में सुनवाई कर रही है। गुजरात हाईकोर्ट द्वारा नियमित जमानत देने से इनकार किए जाने के तुरंत बाद कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया लेकिन उन्हें अंतरिम सुरक्षा देने के मुद्दे पर न्यायाधीशों में मतभेद दिखे।
क्या है मामला : यह मामला 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के मामले में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए कथित तौर पर साक्ष्य गढ़ने से संबंधित है।
न्यायमूर्ति अभय एस ओका और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने विशेष सुनवाई करते हुए प्रधान न्यायाधीश से इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने का आग्रह किया।
पीठ ने कहा कि जमानत देने के सवाल पर हमारे बीच मतभेद हैं। इसलिए हम प्रधान न्यायाधीश से इस मामले को एक बड़ी पीठ को सौंपने का अनुरोध करते हैं।"
सीतलवाड़ की याचिका पर अब सुप्रीम कोर्ट के तीन न्यायाधीशों की पीठ रात सवा नौ बजे विशेष बैठक में सुनवाई करेगी।
इससे पहले दिन में, गुजरात हाईकोर्ट ने सीतलवाड़ की नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी। न्यायमूर्ति निर्झर देसाई ने उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जो पिछले साल सितंबर में शीर्ष अदालत से अंतरिम जमानत हासिल करने के बाद जेल से बाहर हैं।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि चूंकि आवेदक सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई अंतरिम जमानत पर बाहर हैं, इसलिए उन्हें तुरंत आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया जाता है।"
इसने टिप्पणी की कि सीतलवाड़ ने लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गई सरकार को अस्थिर करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री व मौजूदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की छवि धूमिल कर उन्हें जेल भिजवाने की कोशिश की।
न्यायमूर्ति देसाई की अदालत ने 2002 के गोधरा कांड के बाद हुए दंगों में निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए साक्ष्य गढ़ने से जुड़े मामले में सीतलवाड़ की जमानत अर्जी खारिज करते हुए कहा कि उनकी रिहाई से गलत संदेश जाएगा कि लोकतांत्रिक देश में सब कुछ उदारता होता है।
अदालत ने मौजूदा समय में अंतरिम जमानत पर रिहा सीतलवाड़ को तत्काल आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया। अदालत ने फैसला सुनाए जाने के बाद सीतलवाड़ के वकील की ओर से 30 दिन तक आदेश के अमल पर रोक लगाने के अनुरोध को भी मानने से इनकार कर दिया।
अहमदाबाद पुलिस की अपराध शाखा द्वारा दर्ज मामले में सीतलवाड़ को पिछले वर्ष 25 जून को गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार और पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट के साथ गिरफ्तार किया था। सीतलवाड़ और अन्य पर गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के पश्चात निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए साक्ष्य गढ़ने का आरोप है। उन्हें 2 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम जमानत दी थी।
फैसले में अदालत ने टिप्पणी की कि प्रथम दृष्टया प्रतीत होता है कि सीतलवाड़ ने अपने करीबी सहयोगियों और दंगा पीड़ितों का इस्तेमाल सुप्रीम कोर्ट में तत्कालीन सरकार को अपदस्थ करने और संस्थान एवं उस समय के मुख्यमंत्री (मोदी) की छवि धूमिल करने के मकसद से झूठा और मनगढ़ंत हलफनामा दाखिल करने में किया।
अदालत ने कहा कि अगर आज किसी राजनीतिक दल ने उन्हें कथित तौर पर (तत्कालीन) सरकार को अस्थिर करने का कार्य दिया था तो कल कोई बाहरी ताकत भी इसी तरह का कार्य करने के लिए किसी अन्य व्यक्ति का इस्तेमाल कर सकती है जो देश और किसी खास राज्य के लिए खतरा पैदा कर सकती है।
इसने कहा कि उन्हें रिहा करने पर गलत संदेश जाएगा कि लोकतांत्रिक देश में सबकुछ इतना उदार होता है कि यहां तक कि तत्कालीन प्रतिष्ठान (सरकार) को अपदस्थ करने और तत्कालीन मुख्यमंत्री की छवि धूमिल कर जेल भिजवाने की कोशिश करने वाला व्यक्ति भी जमानत पर रिहा हो सकता है।
अदालत ने कहा कि इससे अन्य भी इसी तरह का कार्य करने के लिए प्रेरित हो सकते हैं।
इसने टिप्पणी की, प्रथम दृष्टया इस अदालत का रुख है कि अगर इस तरह के आवेदक को जमानत पर रिहा करने की छूट दी गई तो इससे सांप्रदायिक ध्रुवीकरण और गहरा होगा।
सत्र अदालत ने खारिज की थी याचिका : अहमदाबाद की एक सत्र अदालत ने 30 जुलाई 2022 को मामले में सीतलवाड़ और श्रीकुमार की जमानत याचिकाएं खारिज कर दी थीं और कहा था कि उनकी रिहाई से गलत काम करने वालों को यह संदेश जाएगा कि एक व्यक्ति आरोप भी लगा सकता है और उसका दोष माफ भी किया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले वर्ष दो सितंबर को सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ की अंतरिम जमानत मंजूर कर ली थी। साथ ही पीठ ने सीतलवाड़ को गुजरात उच्च न्यायालय में नियमित जमानत याचिका पर निर्णय होने तक अपना पासपोर्ट निचली अदालत के पास जमा कराने का निर्देश दिया था। सीतलवाड़ तीन सितंबर को जेल से बाहर आ गई थीं।
27 फरवरी 2002 को गोधरा के निकट साबरमती एक्सप्रेस का एक डिब्बा जलाए जाने की घटना में अयोध्या से लौट रहे 59 कारसेवक मारे गए थे, जिसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए थे। Edited By : Sudhir Sharma