नीतीश कुमार प्रधानमंत्री पद के लिए 'मजबूत उम्मीदवार' हो सकते हैं : तेजस्वी यादव
रविवार, 21 अगस्त 2022 (19:05 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को कहा कि अगर विपक्ष 2024 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के सिलसिले में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नाम पर सहमति जताता है, तो वह एक मजबूत उम्मीदवार के तौर पर उभर सकते हैं।
हाल में भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़कर दूसरी बार राजद नीत महागठबंधन के साथ आने वाले कुमार के बारे में यादव ने कहा उनको जमीनी स्तर पर अपार समर्थन हासिल है। जनता दल (यूनाइटेड), राजद, कांग्रेस और अन्य दलों के एकजुट होने के बाद महागठबंधन के सत्ता में आने को तेजस्वी यादव ने विपक्षी एकता के लिए शुभ संकेत बताया।
यादव ने कहा, यह संकेत देता है कि अधिकतर विपक्षी दल देश के सामने मौजूद बड़ी चुनौती को समझते हैं। इसमें भाजपा का आधिपत्य भी शामिल है, जिसमें वह पैसे, मीडिया और (प्रशासनिक) मशीनरी के दम पर भारतीय समाज से विविधता और राजनीतिक विमर्श को खत्म करने पर तुली है। उन्होंने कहा कि यह राज्यों के स्तर पर क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व, सामाजिक न्याय और विकास के मुद्दों का भी सवाल है।
यादव ने कहा, भाजपा सहकारी संघवाद की बात करते हुए लगातार क्षेत्रीय असमानताओं को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही है। बिहार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है, इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता। लेकिन क्या हमें केंद्र से कुछ मिला है? बिल्कुल नहीं।
बिहार के उपमुख्यमंत्री यादव ने यह भी कहा कि भाजपा का यह आरोप बेकार और बेमानी है कि महागठबंधन सरकार की वापसी के बाद जंगल राज लौट आएगा। उन्होंने कहा कि यह एक 'घिसापिटा विमर्श' और 'बेवजह हल्ला मचाने' का एक 'अनोखा उदाहरण' है। उन्होंने कहा, लोग ध्यान भटकाने और गुमराह करने वाले इन हथकंडों को समझते व देखते हैं। यह सोशल मीडिया का जमाना है जहां विमर्श मुख्यधारा का मीडिया नहीं तय करता।
यादव ने कहा कि क्षेत्रीय दलों और अन्य प्रगतिशील राजनीतिक समूहों को अपने छोटे-मोटे नफा-नुकसान से परे देखना होगा और गणतंत्र को बचाना होगा। उन्होंने कहा कि यदि हमने अब गणतंत्र को बर्बाद होने से नहीं बचाया तो इसे दोबारा स्थापित करना बहुत मुश्किल होगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या कुमार 2024 के चुनावों के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने के लिए सबसे उपयुक्त हैं और क्या वह विपक्ष के उम्मीदवार हो सकते हैं, इस पर यादव ने कहा, मैं यह प्रश्न माननीय नीतीश जी पर छोड़ता हूं। मैं पूरे विपक्ष की ओर से बोलने का दावा नहीं कर सकता, हालांकि यदि विचार किया जाए, तो आदरणीय नीतीश जी निश्चित रूप से एक मजबूत उम्मीदवार हो सकते हैं।
यादव ने कहा कि पिछले 50 वर्ष से वह (नीतीश) एक सामाजिक और राजनीतिक कार्यकर्ता रहे हैं। उन्होंने जेपी (जयप्रकाश) और आरक्षण आंदोलनों में भाग लिया। राजद नेता ने कहा, उनके (कुमार) पास 37 से अधिक वर्ष का व्यापक संसदीय और प्रशासनिक अनुभव है और उन्हें जमीनी स्तर पर व अपने साथियों के बीच अपार समर्थन प्राप्त है।
जद(यू) के भाजपा से नाता तोड़ने के बाद कुमार के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनने की चर्चा को बल मिला है।यादव से उन टिप्पणियों के बारे में पूछा गया जो उन्होंने कुमार के भाजपा के साथ रहते हुए उनके खिलाफ की थीं, तो उन्होंने कहा, यदि कोई ऐतिहासिक, राष्ट्रीय, समकालीन और क्षेत्रीय दृष्टिकोण से हमारे बीच समानता और अंतर को देखेगा तो पाएगा कि हमारे विचारों और उद्देश्यों में समानता रही है।
उन्होंने कहा, हम समाजवादी आंदोलनों के एक ही विचार से उभरे हैं और मोटे तौर पर समान मूल्यों को साझा करते हैं। कभी-कभी कुछ मुद्दे होते हैं, लेकिन कोई भी ऐसा मुद्दा नहीं होता, जिसका समाधान नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा, हमने एक जवाबदेह विपक्ष की हैसियत से पिछली सरकार के खिलाफ टिप्पणियां की थीं। मेरे और मेरी पार्टी के सहयोगियों के सभी बयान यह सुनिश्चित करने के लिए थे कि सरकार लोगों की चिंताओं और आवाजों को सुनें। यादव ने भाजपा के इस आरोप को बेकार और बेमानी करार दिया कि महागठबंधन सरकार की वापसी के बाद बिहार में जंगल राज लौट आएगा।
यादव ने कहा, गेंद मीडिया के पाले में भी है। इधर-उधर की बात करने के बजाय उन्हें खुद अपने बारे में सोचना चाहिए। अगर भाजपा कहती है कि बारिश होने जा रही है, तो मुख्यधारा के मीडिया वाले हमसे पूछने लगते हैं कि क्या बारिश होने वाली है, इसके बजाय उन्हें खुद पता लगाना चाहिए कि ऐसा होने वाला है या नहीं।
दस लाख नौकरियों के अपने वादे और इस बारे में चर्चाओं पर यादव ने कहा, हमने सबसे पहले, प्राथमिकता के आधार पर मौजूदा रिक्तियों को भरने का फैसला करके गंभीरता से इसकी शुरुआत की है। इसके बाद, हमारे पास एक कार्यक्रम होगा, जो विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित होगा, जहां बिहार को फायदा है। जब तक हम अपना काम जारी रखते हैं, मैं केंद्र सरकार से, फिर से बिहार पर विशेष ध्यान देने की अपील करता हूं, क्योंकि राज्य ने बहुत लंबा इंतजार किया है।
उन्होंने कहा, मैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को आम चुनाव और विधानसभा चुनाव से पहले बिहार के लोगों से किए गए वादों की याद दिलाना चाहता हूं। जद(यू) के भाजपा से संबंध तोड़ने और राजद, कांग्रेस तथा कुछ अन्य दलों से हाथ मिलाने के बाद इस महीने की शुरुआत में कुमार ने मुख्यमंत्री पद की और यादव ने उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी।(भाषा)