El Nino phenomenon : विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने नई दिल्ली में मंगलवार को कहा कि वर्ष 2023-24 की अल नीनो घटना ने अब तक के 5 सर्वाधिक प्रचंड अल नीनो (El Nino) में से एक होने का रिकॉर्ड कायम किया है, जो कमजोर रुख के बावजूद आने वाले महीनों में वैश्विक जलवायु (global climate) को प्रभावित करना जारी रखेगी।
क्या होता है अल नीनो? : संयुक्त राष्ट्र (संरा) की एजेंसी ने कहा कि करीब भूमि के हर टुकड़े पर मार्च और मई के बीच तापमान औसत से अधिक रहेगा। अल नीनो प्रशांत महासागर क्षेत्र में उत्पन्न होने वाली एक भौगोलिक घटना है जिसे तापमान में बढ़ोतरी के लिए जाना जाता है। रिकॉर्ड में वर्ष 2023 के सर्वाधिक गर्म रहने के साथ मौजूदा अल नीनो की दशा दुनियाभर में रिकॉर्ड तापमान और मौसम से जुड़ी चरम घटनाओं को बढ़ावा देगी।
वैश्विक औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ा : यूरोपीय संघ की कॉपरनिकस जलवायु परिवर्तन सेवा के अनुसार वैश्विक औसत तापमान जनवरी में पहली बार पूरे वर्ष के लिए 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा को पार कर गया। हालांकि पेरिस समझौते में निर्दिष्ट 1.5 डिग्री सेल्सियस की सीमा का स्थायी उल्लंघन कई वर्षों में दीर्घकालिक तापमान बढ़ोतरी को संदर्भित करता है।
अल नीनो के बने रहने की 60 प्रतिशत संभावना : विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने अपने नवीनतम अपडेट में कहा कि मार्च-मई के दौरान अल नीनो के बने रहने की लगभग 60 प्रतिशत संभावना है और अप्रैल से जून के दौरान तटस्थ स्थितियों (न तो अल नीनो और न ही ला नीना) की 80 प्रतिशत संभावना है। इसमें कहा गया है कि साल के अंत में ला नीना विकसित होने की संभावना है लेकिन ये संभावनाएं फिलहाल अनिश्चित हैं।
भारत में मानसून की बारिश 2023 की तुलना में बेहतर होगी : भारत में घटनाक्रम पर नजर रखने वाले वैज्ञानिकों ने कहा है कि जून-अगस्त तक ला नीना की स्थिति बनने का मतलब यह हो सकता है कि इस साल मानसून की बारिश 2023 की तुलना में बेहतर होगी। अल नीनो से आशय मध्य और पूर्वी ऊष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर में समुद्र की सतह का समय-समय पर गर्म होने से है और यह औसतन हर 2 से 7 साल में होता है तथा आमतौर पर 9 से 12 महीने तक रहता है। यह हॉर्न ऑफ अफ्रीका और दक्षिणी अमेरिका में बढ़ी हुई वर्षा और दक्षिण पूर्व एशिया, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिणी अफ्रीका में असामान्य रूप से शुष्क और गर्म स्थितियों से जुड़ा है।
डब्ल्यूएमओ के महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि जून 2023 के बाद से हर महीने ने एक नया मासिक तापमान रिकॉर्ड बनाया है और वर्ष 2023 अब तक के सबसे गर्म वर्ष के रूप में रिकॉर्ड किया गया था। अल नीनो ने इन रिकॉर्ड तापमान में योगदान दिया है, लेकिन ऊष्मा को रोककर तापमान बढ़ाने वाली ग्रीनहाउस गैसें स्पष्ट रूप से इसका मुख्य कारण हैं। वैज्ञानिक कहते हैं कि अल नीनो का वैश्विक जलवायु पर सर्वाधिक प्रभाव इसके उत्पन्न होने के दूसरे साल देखने को मिलता है और अबकी बार वर्ष 2024 में इसका प्रभाव दिखेगा।
वर्तमान अल नीनो घटना, जो जून 2023 में विकसित हुई, नवंबर और जनवरी के बीच सर्वाधिक प्रचंड थी। इसने पूर्वी और मध्य ऊष्णकटिबंधीय प्रशांत महासागर के लिए 1991 से 2020 के औसत समुद्री सतह तापमान से लगभग 2.0 डिग्री सेल्सियस ऊपर का चरम ताप प्रदर्शित किया। इसने इसे अब तक की 5 सर्वाधिक प्रचंड अल नीनो घटनाओं में से एक बना दिया, हालांकि यह 1997-98 और 2015-2016 की अल नीनो से कमजोर थी।(भाषा)