श्रीनगर। जिस वादी-ए-कश्मीर में शांति लौटने के दावे किए जा रहे थे, वहां उस पार से घुसपैठ और पहाड़ों से नीचे उतरते आतंकियों के साथ बढ़ती मुठभेड़ों से कश्मीर थर्राने लगा है। पिछले एक सप्ताह में हुई आधा दर्जन से अधिक मुठभेड़ों ने सुरक्षाबलों की चिंता इसलिए बढ़ाई है, क्योंकि यह मुठभेड़ें कुछ तालिबानियों तथा अलकायदा सदस्यों से भी हुई थीं।
रक्षाधिकारियों के मुताबिक, ऐसी लड़ने की क्षमता से हमारा पहले कभी मुकाबला नहीं हुआ था। सेना प्रवक्ता भी दबे स्वर में कुछ ऐसा ही स्वीकारते हैं, लेकिन साथ ही कहना है कि हमारे लिए आतंकी, आतंकी ही होता है चाहे वह किसी भी संगठन से संबंध रखता हो।
माना कि सेना के लिए तालिबान तथा अलकायदा के कश्मीर में एक्टिव होने की खबर प्रत्यक्ष तौर पर अधिक चिंता का विषय नहीं है, लेकिन अन्य सुरक्षाबलों और कश्मीरियों के लिए यह परेशानी का सबब इसलिए बन रही है, क्योंकि अगर अन्य सुरक्षाबल उनका मुकाबला करने में आपको सक्षम नहीं पा रहे तो दूसरी ओर कश्मीरी आने वाले दिनों में कश्मीर में पुनः बर्बादी की जंग के पुनर्जीवित होने की शंका से ग्रस्त हैं।
कुपवाड़ा और बारामुला जिलों के कस्बों में औसतन प्रतिदिन एक भीषण मुठभेड़ लोगों को दहशतजदा और भयानक सर्दी में घरों से बेघर इसलिए कर रही है, क्योंकि आतंकी होटलों, घरों पर कब्जे जमा कर सुरक्षाबलों पर हमले बोल रहे हैं और फिर बदले में चलाए जाने वाले मुक्ति अभियानों में सुरक्षाबल उन इमारतों को ही खंडहरों में बदल रहे हैं, जहां से आतंकी हमले बोलते हैं।
वैसे भीषण मुठभेड़ों में आई तेजी के लिए सेना प्रवक्ता सीमा पार से तेज हुई घुसपैठ को भी दोषी ठहराते हैं। उनका कहना है कि पाकिस्तान में आपातकाल के कारण उस पार से आतंकियों की घुसपैठ भयानक सर्दी के बावजूद बढ़ी है, क्योंकि पाकिस्तानी सेना अब आतंकवादियों को ज्यादा से ज्यादा इस ओर घुसाना चाहती है।