चमोली। गढ़वाल हिमालय स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट आज सायं 6.45 बजे पूरे विधि-विधान के बाद बंद कर दिए गए हैं।कपाट बंद होने की प्रक्रिया शाम 4 बजे से शुरू हो गई थी। बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने के साथ ही चारधाम यात्रा का समापन भी हो गया। इससे पूव 5 नवंबर को गंगोत्री और 6 नवंबर को यमुनोत्री और केदारनाथ के कपाट बंद किए गए थे।
बद्रीनाथ के पट बंद होने से पूर्व आज चारधाम यात्रा सीजन के आखिरी दिन बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान बद्री विशाल के दर्शन करने के लिए धाम पहुंचे।बद्रीनाथ धाम के कपाट बंद होने से पूर्व पुष्प सेवा समिति ऋषिकेश की ओर से मंदिर को चारों ओर से 20 क्विंटल गेंदा, गुलाब और कमल के फूलों से सजाया गया था। इस सजावट से इस भू बैकुंठ धाम की सजावट देखते ही बन रही थी।
कपाट बंद होने के दिन आज सुबह से ही धाम में रौनक थी। सुबह छह बजे भगवान बद्रीनाथ की अभिषेक पूजा की गई।सुबह आठ बजे बाल भोग लगाया गया, दोपहर साढ़े बारह बजे भोग लगाया गया।शाम चार बजे माता लक्ष्मी को बद्रीनाथ गर्भगृह में स्थापित कर गर्भगृह से गरुड़जी, उद्धव जी और कुबेर जी को बदरीश पंचायत से बाहर निकालकर सभी धार्मिक परंपराओं का निर्वहन करने के बाद शाम 6:45 बजे बदरीनाथ धाम के कपाट बंद कर दिए गए।
मुख्य पुजारी रावल जी, मंदिर समिति के सदस्यों एवं सैकड़ों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में भगवान बद्री विशाल जी के कपाट इस वर्ष शीतकाल के लिए बंद किए गए। कपाट बंद होते समय आर्मी के मधुर बैंड ध्वनि ने सबको भावुक कर दिया। कपाट बंद होने से पूर्व भगवान को घृत कंबल पहनाया गया।
इस अवसर पर सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भगवान के कपाट बंद होने की प्रक्रिया देखी। पूरी बद्रीनाथपुरी जय बद्री विशाल के उद्घोष के साथ गूंज उठी। मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी नम्बूदरी ने इस वर्ष की अंतिम पूजा की। कपाट बंद होने का माहौल अत्यंत धार्मिक मान्यताओं, परंपराओं के साथ हुआ। कपाट बंद होने के अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने पूरे भाव भक्ति से भगवान बद्री विशाल के दर्शन किए।