पोर्टल ने पिछले सप्ताह याचिका दायर कर नए आईटी नियमों को चुनौती देते हुए दावा किया कि यह संविधान के अनुच्छेद-14 (समानता), 19ए (भाषण और अभिव्यक्ति की आजादी), 19(1)(जी) (कोई भी पेशा करने, या नौकरी, व्यापार करने की आजादी) का उल्लंघन करता है।
द लीफलेट की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता डैरियस खम्बाता ने गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जीएस कुलकर्णी की पीठ के समक्ष कहा कि इन नियमों का नकारात्मक असर मौलिक अधिकारों पर पड़ता है, जिसकी गारंटी संविधान में दी गई है।