यह रिपोर्ट शुक्रवार को विपक्षी सांसदों के हंगामे के बीच लोकसभा के पटल पर रखी गई। बनर्जी ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस संसदीय दल के नेता ने माननीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर तुरंत रिपोर्ट की 'हार्ड कॉपी' मांगी। उन्होंने यह भी कहा कि पार्टी ने 48 घंटे का समय मांगा है ताकि हमें रिपोर्ट पढ़ने के लिए पर्याप्त वक्त मिल सके। टीएमसी सांसद ने कहा कि महुआ मोइत्रा को रिपोर्ट पर सदन में बोलने की अनुमति दी जानी चाहिए।
भाजपा सांसद सोनकर की अध्यक्षता वाली आचार समिति ने गत 9 नवंबर को अपनी एक बैठक में मोइत्रा को 'पैसे लेकर सदन में सवाल पूछने' के आरोपों में लोकसभा से निष्कासित करने की सिफारिश वाली रिपोर्ट को स्वीकार किया था। समिति के 6 सदस्यों ने रिपोर्ट के पक्ष में मतदान किया था। इनमें कांग्रेस से निलंबित सांसद परणीत कौर भी शामिल थीं। समिति के 4 विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट पर असहमति नोट दिए थे।
विपक्षी सदस्यों ने रिपोर्ट को 'फिक्स्ड मैच' करार देते हुए कहा था कि भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की जिस शिकायत पर समिति ने विचार किया, उसके समर्थन में 'सबूत का एक टुकड़ा' भी नहीं था। यदि सदन समिति की सिफारिश के पक्ष में मतदान करता है तो मोइत्रा को सदन से बर्खास्त किया जा सकता है।(भाषा)