बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जे एस केहर की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ के समक्ष गुरुवार को पेश दलील में कहा था कि खुद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी यह नहीं चाहता कि तीन तलाक की प्रथा जारी रहे। इसलिए उसने तीन तलाक पर निकाहनामे में वधू को अपनी राय जाहिर करने वाला प्रावधान जोड़ने का फैसला किया है।
अख्तर इससे पहले भी मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के उस बयान पर भड़के थे जिसमें कहा गया था कि तीन बार तलाक कहकर अपनी पत्नियों को छोड़ने वालों का मुस्लिम समाज में बहिष्कार किया जाएगा। अख्तर ने इसे फर्जीवाड़ा बताया था और कहा था कि यह सब दिखावा है, हकीकत में कुछ नहीं होगा। (वार्ता)