#webviral नगालैंड के अलग झंडे और पासपोर्ट का सच!

सोशल मीडिया में एक समाचार इन दिनों बहुत सुर्खी पा रहा है। वो यह कि नगालैंड का अलग झंडा और पासपोर्ट होगा और इसके लिए केन्द्र की नरेन्द्र मोदी सरकार ने हरी झंडी भी दे दी है। हालांकि इस खबर की समाचार माध्यमों में ज्यादा चर्चा नही हुई, लेकिन समझौते के करीब एक साल बाद यह मामला चौंकाने वाला जरूर है। हकीकत जो भी हो, लेकिन सरकार की ओर से इसका खंडन जरूर आ गया है। 
 
मीडिया में जो खबरें आ रही हैं उनके अनुसार एनएससीएन (आईएम) के स्वयंभू गृहमंत्री किलो किनोसेर के अनुसार भारत सरकार ने उनकी अलग झंडे और पासपोर्ट की मांग मान ली है और यह 2015 के समझौते का हिस्सा है। हालांकि समझौते के समय ऐसी कोई भी बात सामने नहीं आई थी कि नगालैंड का अलग झंडा और पासपोर्ट होगा। 
 
यह कहा गया था समझौते के समय : पिछले वर्ष यानी 3 अगस्त, 2015 केन्द्र सरकार और नगालैंड के अलगाववादी संगठन एनएससीएन (आईएम) के बीच ऐतिहासिक समझौता हुआ था। तब सरकार ने प्रधानमंत्री आवास 7 आरसीआर पर इस बड़े समझौते को अंजाम दिया गया था।
 
तब कहा गया था कि एनएससीएन हथियार छोड़कर राष्ट्रीय मुख्‍य धारा में शामिल होने के लिए तैयार हो गया है। मोदी ने भी इसे ऐतिहासिक समझौता करार देते हुए कहा था कि इससे नगालैंड के लिए विकास के रास्ते खुलेंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था कि हिंसा में लिप्त अन्य संगठनों के लिए भी यह समझौता उदाहरण बनेगा।
 
तब मुखर्जी का बलिदान कैसे याद रहेगा? : यदि यह खबर सही है तो यह भाजपा के पितृ पुरुषों में से एक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के साथ भी अन्याय होगा, जिन्होंने जम्मू-कश्मीर के संबंध में नारा दिया था- "एक देश में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान नहीं चलेगा।" दो विधान और दो निशान से तात्पर्य धारा 370 से है, जिसके चलते कश्मीर को खास कानून के कारण रियायत मिलती है। कश्मीर का अलग झंडा भी है। मगर 65 साल पहले मुखर्जी की बात तत्कालीन प्रधानमंत्री नेहरू ने नहीं सुनी थी। उसी दौरान संदिग्ध स्थिति में श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मौत हो गई थी।
 
कश्मीर को लेकर भाजपा और संघ भी नारा देते रहे हैं- 'जहां हुए बलिदान मुखर्जी वह कश्मीर हमारा है'। अब यदि नगालैंड में ऐसा कुछ होता है तो कश्मीर को लेकर भी भाजपा का मुंह बंद हो जाएगा। साथ ही अन्य राज्यों में भी इस तरह की मांगें उठने लगेंगी। 
 
क्या कहा सरकार ने : गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू ने अलग झंडे और पासपोर्ट की बात से साफ इनकार करते हुए कहा कि सरकार अनोखे नगा इतिहास को मान्यता देती है और इसके लिए प्रतिबद्ध है। सरकार की नगा समूह के साथ शांति वार्ता अब भी जारी है, लेकिन अलग झंडे और पासपोर्ट संबंधी खबरें पूरी तरह निराधार हैं।  

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