नई दिल्ली। भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूएआईडीआई) ने उच्चतम न्यायालय में मंगलवार को कहा कि शीर्ष अदालत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताए या नहीं, लेकिन डिजिटल जमाने में कुछ भी निजी नहीं रह गया है।
प्राधिकरण की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने निजता के अधिकार की समीक्षा कर रही नौ-सदस्यीय संविधान पीठ के समक्ष दलील दी कि निजता एक कीमती अधिकार है, जिसे आधार कानून में भी संरक्षण दिया गया है।
मेहता ने कहा कि न्यायालय का काम कानून बनाना नहीं, बल्कि कानून की व्याख्या करना है। चाहे शीर्ष अदालत निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार बताए या नहीं, लेकिन ऑनलाइन के दौर में कुछ भी निजी नहीं रह गया है।