Kanhaiya lal murder case में दोनों आरोपियों को मिली जमानत, आखिर किस आधार पर मिली बेल, क्‍या NIA हुई फेल?

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

शुक्रवार, 6 सितम्बर 2024 (17:52 IST)
राजस्‍थान के उदयपुर में हुई कन्हैया लाल की वीभत्‍स हत्‍या के दोनों आरोपियों को जमानत मिल गई है। बता दें कि हत्या से पहले घटनास्थल की रेकी करने और साजिश रचने को लेकर गिरफ्तार हुए मोहम्मद जावेद को राजस्थान हाईकोर्ट ने कुछ शर्तों पर राहत दी है। जिस आधार पर जमानत मिली है उसमें कहा जा रहा है कि कई मोर्चों पर एनआईए सबूत पेश करने में विफल रही है।

कन्हैया लाल की लाईव हत्या की गई थी पर हत्यारे जावेद को तब भी ज़मानत मिल गई मित्रों हमारे देश में हिंदू होना गुनाह है क्या ? pic.twitter.com/wwJzqxa0wp

— Riniti Chatterjee Pandey (@mainRiniti) September 5, 2024
बता दें कि राजस्‍थान के उदयपुर में जून 2022 में टेलर कन्हैया लाल की गला रेत कर दर्दनाक हत्‍या कर दी गई थी। हत्‍या के बाद आरोपियों ने धमकी का वीडियो भी जारी किया था। इस घटना के बाद पूरे देश में आक्रोश था। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर किस आधार पर आरोपियों को जमानत मिली। इस मामले को लेकर भाजपा और कांग्रेस में जमकर राजनीति भी हो रही है।

दोनों को मिली जमानत : करीब दो साल पहले राजस्थान के उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड मामले में एक और आरोपी मोहम्मद जावेद को जमानत मिल गई। इससे पहले 1 सितंबर 2023 को आरोपी फरहाद मोहम्मद शेख उर्फ बाबला को भी जमानत मिल चुकी है। जावेद को तो राजस्थान उच्च न्यायालय से बेल मिली जबकि फरहाद को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की कोर्ट ने जमानत दिया था।

मोहम्मद जावेद पर कन्हैया लाल की हत्या से पहले इलाके की रेकी करने का आरोप था। कन्हैया की हत्या के एक महीने के बाद जावेद की गिरफ्तारी एनआईए ने की थी। एनआईए इस केस की जांच हत्या के अगले ही दिन (यानी 29 जून 2022) से कर रही है। एनआईए दिसंबर 2023 में 11 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र भी दाखिल कर चुकी है। जिनमें से दो पाकिस्तानी हैं।

कैसे दिया कन्हैया लाल की निर्मम हत्या को अंजाम : 28 जून 2022 में राजस्थान से खबर आई थी, उससे सबकी रूह कांप गई थी। राजधानी जयपुर से करीब 400 किलोमीटर दूर उदयपुर में हाथीपोल इलाके में दर्जी की दुकान चलाने वाले कन्हैया लाल की निर्ममता से हत्या कर दी गई थी। आरोप था कि कन्हैया लाल ने सोशल मीडिया के जरिये भाजपा की प्रवक्ता रहीं नुपूर शर्मा के उस बयान का समर्थन किया था जो उन्होंने मोहम्‍मद पैगंबर को लेकर दिया था।

ऐसे मारा कन्‍हैयालाल को : कट्टरपंथी गौस मोहम्मद और मोहम्मद रियाज अट्टारी कन्हैया लाल की दुकान में ग्राहक की तरह आए और एक धारदार हथियार से कन्हैया लाल की गला रेतकर हत्या कर दी। न केवल इतना, उन्होंने इस वीभत्स घटना का वीडियो बनाया और सोशल मीडिया पर डाल दिया। पुलिस ने मुस्तैदी दिखाते हुए दोनों को कुछ ही घंटे के भीतर गिरफ्तार किया था। अभी ये दोनों अजमेर जेल में बंद हैं।

एएनआई कर रही है जांच : बता दें कि जावेद पर अन्य लोगों के साथ मिलकर हत्या की साजिश रचने, रेकी करने और हत्या से पहले कन्हैया लाल के अपनी दुकान पर मौजूद होने की सूचना अटारी और गौस को देने का आरोप लगाया गया था। मामले की जांच एनआईए कर रही है। जयपुर में एनआईए की अदालत ने 11 आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 302, 452, 153-ए, 295-ए, 120-बी और यूएपीए के तहत आरोप तय किया है।

3 लाख के मुचलके पर जमानत: इस जघन्य अपराध के तकरीबन दो साल बाद मोहम्मद जावेद को राजस्थान हाईकोर्ट से कुल 3 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत मिल गई। जमानत की शर्तों के मुताबिक जावेद देश छोड़कर बाहर नहीं जा सकेगा। और एनआईए की जांच में लगातार सहयोग करना होगा। जावेद ने राजस्थान उच्च न्यायालय से पहले एनआईए की अदालत से राहत की गुहार लगाई थी मगर वहां उसकी बात न बनी। इसके बाद जावेद ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

किस आधार मिली जमानत : मोहम्मद जावेद की ओर से राजस्थान हाईकोर्ट में सैयद सादत अली पेश हुए। अली की मुख्यतः 4 दलील थी। उसने कहा कि जावेद के यहां से किसी भी तरह की कोई बरामदगी नहीं हुई है और मुकदमे में अब भी उसका दोषी साबित होना बाकी है। जावेद एक चुड़ी की दुकान पर काम करता था। एनआईए ऐसा कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं दे पाई है जिससे यह साबित हो सके कि इस हत्या में जावेद की कोई मिलीभगत थी।

दूसरी दलील यह थी कि एनाआईए ने दावा किया था कि जावेद और दूसरे आरोपियों ने 27 जून को एक चाय की दुकान पर कन्हैयालाल के हत्या की साजिश रची। हालांकि, चाय की दुकान के मालिक का बयान इस दावे से अलग है।

तीसरी दलील यह दी गई कि एनआई यह साबित करने में नाकाम रही है कि जावेद ने हत्या से पहले घटनास्थल की किसी तरह की कोई रेकी की। हत्या करने वाले मुख्य आरोपियों के बारे में कहा जाता है कि वे घटना से पहले एक चाय की दुकान पर इकठ्ठा हुए, लेकिन जावेद के लोकेशन से मालूम होता है कि वह वहां मौजूद नहीं था।

जावेद की गिरफ्तारी फोन कॉल के रिकॉर्ड्स पर हुई। जबकि साजिश रचने में शामिल रहे दूसरे आरोपियों और जावेद के लोकेशन में अंतर रहा। जावेद को एक नामूलम नंबर से 11 बजे कॉल आया जबकि हत्या 3 बजकर 30 मिनट पर हुआ। साथ ही मुख्य आरोपी अट्टारी और जावेद के बीच कभी भी फोन पर बातचीत नहीं हुई।
Edited By: Navin Rangiyal

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