Jammu and Kashmir : क्या मोदी सरकार कश्मीर का नाम बदलने की तैयारी कर रही है। गृह मंत्री अमित शाह के बयान ने अब नई चर्चा को जन्म दे दिया है। गुरुवार को शाह ने जम्मू-कश्मीर एंव लद्दाख: सातत्य और सम्बद्धता का ऐतिहासिक वृतांत पुस्तक के विमोचन पर संकेत दिए कि कश्मीर का नाम कश्यप हो सकता है। उन्होंने इस मौके पर महर्षि कश्यप का उल्लेख किया। इस अवसर पर केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे। अब चर्चाएं चल पड़ी हैं कि क्या कश्मीर का नाम कश्यप हो सकता है।
विकास की राह पर चला : गृह मंत्री ने कहा कि मुझे खुशी है कि आज कश्मीर एकबार फिर से हमारे भूसांस्कृतिक राष्ट्र भारत का अभिन्न अंग बनकर भारत के साथ ही विकास के रास्ते पर चल पड़ा है। यहां पर लोकतंत्र प्रस्थापित हुआ है। शाह ने कहा कि मुझे विश्वास है कि जो कुछ भी हमने गंवाया, वो हम जल्दी हासिल कर लेंगे। उन्होंने कहा कि कश्मीर से कन्याकुमारी, गांधार से ओडिशा और बंगाल से गुजरात तक, हम जहां भी जाते हैं, हमारा देश संस्कृति से जुड़ा है।”
इतिहास को तथ्य के साथ लिखें : शाह ने कहा कि 150 साल का एक दौर था, जब इतिहास का मतलब दिल्ली दरीबा से बल्ली मारान तक और लुटियन से जिमखाना तक था। इतिहास यहीं तक सीमित था। यह समय शासकों को खुश करने के लिए लिखे गए इतिहास से खुद को मुक्त करने का है। मैं इतिहासकारों से अपील करता हूं कि वे हमारे हजारों साल पुराने इतिहास को तथ्यों के साथ लिखें।
समय आ गया है कि हम खुद को उस इतिहास से मुक्त करें जो शासकों को खुश करने के लिए लिखा गया था। मैं इस कार्यक्रम के माध्यम से देश के प्रतिष्ठित इतिहासकारों से आग्रह करता हूं कि वे हमारे हजारों साल पुराने इतिहास को तथ्यपूर्ण, विश्वास के साथ लिखें और इसे प्रमाण और गर्व के साथ दुनिया के सामने प्रस्तुत करें। ”
धारा 370 का उल्लेख : गृह मंत्री ने कहा कि भारत को समझने के लिए हमें उस तथ्य को समझना होगा जो हमारे देश को जोड़ता है। कश्मीर और लद्दाख के इतिहास के साथ भी यही हुआ। यहां किसने शासन किया और कौन रहते थे, कौन-कौन से समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, इसका विश्लेषण करना मेरी दृष्टि में व्यर्थ है।
केवल वही इतिहासकार ऐसा कर सकते हैं जो इतिहास को एक अलग तरीके से देखते हैं।” उन्होंने कहा कि कश्मीर हमेशा भारत का अविभाज्य हिस्सा रहा है और हमेशा अविभाज्य रहेगा। इसे किसी भी कानून द्वारा अलग नहीं किया जा सकता है, प्रयास किए गए लेकिन अंत में उन धाराओं को हटा दिया गया और सभी बाधाओं को दूर किया गया।” इनपुट एजेंसियां Edited by : Sudhir Sharma