उन्होंने हैरान करने वाला खुलासा करते हुए बताया कि इस साल यूपी बोर्ड की हाईस्कूल और इंटरमीडियट की परीक्षाओं में सख्ती के कारण इम्तेहान छोड़ने वाले 11 लाख छात्र-छात्राओं में 75 प्रतिशत तादाद दूसरे राज्यों और देशों के निवासियों की है। परीक्षा छोड़ने वालों में सऊदी अरब, दुबई, कतर, दोहा, नेपाल और बांग्लादेश के नागरिक भी शामिल हैं। इससे जाहिर होता है कि यूपी बोर्ड में नकल माफिया के तार कहां-कहां तक फैले हैं? सरकार इस नेटवर्क को छिन्न-भिन्न करेगी।
राज्य के माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा विभाग का जिम्मा भी संभाल रहे शर्मा ने बताया कि सरकार ने ठेका लेकर नकल के जरिए परीक्षा पास कराने वाले माफिया का खेल खत्म करने के लिए राज्य पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स और स्थानीय अभिसूचना तंत्र का प्रभावी इस्तेमाल किया। भविष्य में भी परीक्षाओं को पूरी तरह नकलविहीन बनाने की सरकार की योजना के बारे में उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने सभी परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरा लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। इससे नकल पर रोक लगाने में बहुत मदद मिली है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के 10,000 से ज्यादा विद्यालयों में सीसीटीवी कैमरे लगाने पर 400 करोड़ रुपए से ज्यादा की धनराशि की जरूरत होगी। सरकार के पास इतना बजट नहीं है। ऐसे में यह तय किया गया कि जिन स्कूलों में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं और जिनकी चहारदीवारी दुरुस्त होने के साथ-साथ अन्य जरूरी सुविधाएं मौजूद हैं, केवल उन्हीं को परीक्षा केंद्र बनाया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने परीक्षाओं में नकल रोकने के लिए सभी मुमकिन रास्तों का अध्ययन किया है। अब दूसरे के नाम पर परीक्षा देने वाले या उत्तर पुस्तिकाएं बदलने वाले तत्व अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकेंगे। मालूम हो कि इस साल 6 फरवरी से 12 मार्च तक हुईं यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं की परीक्षाओं के लिए कुल 66 लाख 37 हजार 18 छात्र-छात्राओं ने फॉर्म भरा था। इन परीक्षाओं के परिणाम इस महीने के अंत में घोषित होंगे।