हिंसा और प्रदर्शनों को थामने के लिए सेना की मदद लेने के निर्देश

श्रीनगर। एक हफ्ते से थमने का नाम नहीं ले रही हिंसा और हिंसक प्रदर्शनों को लगाम लगाने की खातिर अब सेना के इस्तेमाल के आखिरी विकल्प का इस्तेमाल होने लगा है। कश्मीर के करीब 10 हिंसाग्रस्त जिलों में कई जगहों पर सेना के वाहन देखे जाने लगे हैं। 
श्रीनगर में नागरिक सचिवालय की सुरक्षा की खातिर भी सेना को ‘तैनात’ कर दिया गया है। हालांकि सेना की तैनाती को आधिकारिक तौर पर नहीं माना जा रहा है। दरअसल, राज्य और केंद्र सरकार कश्मीर में प्रदर्शनों को रोकने की खातिर सेना की तैनाती से हमेशा बचती रही है। 
 
वर्ष 2010 में भी हुए हिंसक प्रदर्शनों, जिसमें 140 के करीब मौतें हुई थीं, को थामने की खातिर सेना तैनाती का फैसला बहुत देर से लिया गया था। हालांकि इस बार भी सेना को तैनात करने का विकल्प पहले ही दिन की हिंसा के बाद खुला रखा गया था पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कश्मीर की छवि न बिगड़े इसलिए सेना को फिलहाल तैनात नहीं किया गया था, लेकिन कल सुबह से ही कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में सेना के वाहनों को घूमते हुए देखा जा सकता है।
 
हालांकि सेना प्रवक्ता सेना के वाहनों की मूवमेंट को रूटीन बताते हैं पर प्रशासनिक अधिकारी मानने लगे हैं कि सेना को आज के कर्फ्यू पाबंदियों को सख्ती से लागू करने, की खातिर सहायता करने को कहा गया था।
 
बारामुल्ला, पुलवामा, कुपवाड़ा और अन्य जिलों से मिली सूचनाओं के मुताबिक, अधिकतर इलाकों में आज जिस सख्ती के साथ कर्फ्यू पाबंदियों का पालन करवाया गया था वह सेना की ‘तैनाती’ के कारण ही संभव हो पाया था। 
 
यह बात अलग है कि आज भी सोपोर और पट्टन में हिंसक प्रदर्शन हुए और पुलिस को कई स्थानों पर गोलीबारी करनी पड़ी जिस कारण कई युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गए थे। सूत्रों के मुताबिक सेना को आने वाले दिनों में हालात और न बिगड़े की सोच के तहत कश्मीर के विभिन्न हिस्सों में सुरक्षाबलों की सहायता करने को कहा गया है जिसे अधिकारी तैनानी का नाम नहीं देते हैं। 
 
जानकारी के मुताबिक आतंकवाद विरोधी अभियानों और एलओसी पर तैनात जवानों को इस तैनाती की खातिर नहीं हटाया गया है बल्कि कल जम्मू के नगरोटा स्थित 16वीं कोर के उन जवानों को विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया था जो कश्मीर के लिए रवाना हुए थे। बताया जाता है कि इंफेंट्री की दो बटालियनों को कल ही कश्मीर रवाना कर दिया गया था, इसकी पुष्टि सेना प्रवक्ता भी कर चुके हैं।

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