कार्यपालक मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर ने पूछा था कि क्या दीक्षित अपने आश्रम और अपने खिलाफ दर्ज शिकायत को लेकर चल रही जांच में शामिल हुआ है या नहीं, जिसके बाद सीबीआई ने अदालत को उक्त जानकारी दी।
सुनवाई के दौरान, अदालत ने यह भी कहा कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की परिभाषा के मुताबिक, आश्रम विश्वविद्यालय नहीं है और लिहाजा यह अपने आप को विश्वविद्यालय के तौर पर पेश नहीं कर सकता है।
बहरहाल, पीठ ने आश्रम द्वारा विश्वविद्यालय का नाम इस्तेमाल करने पर रोक लगाने का आदेश नहीं दिया, क्योंकि आश्रम के वकील ने कहा कि आदेश देने से पहले उन्हें सुना जाए। वकील ने यह भी बताया कि आश्रम को लेकर यूजीसी का अधिकार क्षेत्र नहीं है, क्योंकि इसे ईश्वर अपने अवतरण के द्वारा चला रहे हैं और ईश्वर खुद ही शिक्षाएं देते हैं।
अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख आठ फरवरी को मुकर्रर की है। पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें एक एनजीओ ने कई आरोप लगाए हैं। एनजीओ का आरोप है कि रोहिणी में आध्यात्मिक विश्वविद्यालय में लड़कियों और महिलाओं को अवैध तरीके से कैद करके रखा गया था। (भाषा)