Shiv Sena criticized in Saamana: कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई के अध्यक्ष नाना पटोले ने शिवसेना (उबाठा) के मुखपत्र सामना के एक संपादकीय को लेकर सोमवार को पलटवार करते हुए कहा कि वह इस समाचार पत्र को पढ़ते ही नहीं हैं। दरअसल, उद्धव की शिवसेना ने 'सामना' में दावा किया कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) और कांग्रेस के एक-दूसरे से लड़ने के कारण भाजपा को जीत में फायदा मिला।
सामना ने सोमवार को अपने संपादकीय में कहा कि दिल्ली विधानसभा चुनाव में आप और कांग्रेस के एक-दूसरे से लड़ने के कारण भाजपा को जीत में फायदा मिला। आप और कांग्रेस विपक्षी दलों के गठबंधन इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया) के सदस्य हैं। सामना ने यह सवाल भी उठाया कि अगर विपक्षी दलों के गठबंधन के घटक दल भाजपा के बजाय एक दूसरे के खिलाफ लड़ते रहे तो गठबंधन की क्या जरूरत है?
गठबंधन स्थायी नहीं होता : इस बारे में पूछे जाने पर पटोले ने कहा कि भाजपा का कौनसा गठबंधन बचा है। हमारे गठबंधन में घटक दलों की संख्या ज्यादा है। गठबंधन (का स्वरूप) कोई स्थायी तो नहीं होता, कोई स्टांप पेपर पर लिखा तो होता नहीं है। गठबंधन अपने अपने विचारधारा के हिसाब से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की विचारधारा के ऊपर आरोप लगाना गलत है। कांग्रेस नेता ने कहा कि जिस अखबार का उल्लेख कर रहे हैं वो अखबार हम पढ़ते ही नहीं हैं।
पटोले ने लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से संसद भवन स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात की। उन्होंने कहा कि आंगनवाड़ी सेविकाओं के विषय को लेकर वह कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष से मिले और नेता प्रतिपक्ष ने विश्वास दिलाया कि वह इस विषय को सदन में उठाएंगे।
क्या कहा सामना ने : सामना के संपादकीय में कहा गया कि आप और कांग्रेस दोनों ने दिल्ली में एक-दूसरे को खत्म करने के लिए लड़ाई लड़ी। इससे मोदी-शाह के लिए जगह बनी। अगर इसी तरह काम करना है तो गठबंधन वगैरह क्यों बनाया जाए? जी भर के लडो़! विपक्षी दलों के बीच इसी तरह की असहमति के कारण महाराष्ट्र में (2024 के विधानसभा चुनाव के दौरान, जिसमें भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन ने जीत हासिल की) पहले ही झटके लग चुके हैं। मराठी दैनिक ने दावा किया कि दिल्ली चुनाव परिणामों से सीख नहीं लेने से मोदी और शाह के तहत निरंकुश शासन को और मजबूती मिलेगी।
और लड़ो आपस में : जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ने वाली आप और कांग्रेस की हार पर शनिवार को कटाक्ष किया था। नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के नेता ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर कहा था, और लड़ो आपस में। अब्दुल्ला की टिप्पणियों का हवाला देते हुए सामना में दावा किया गया कि कांग्रेस ने दिल्ली में कम से कम 14 सीट पर आप की हार में सक्रिय रूप से योगदान दिया, जिसे टाला जा सकता था।
कांग्रेस की छिपी हुई ताकतें : संपादकीय में दावा किया गया है कि हरियाणा में भी ऐसी ही स्थिति बनी थी (पिछले साल विधानसभा चुनाव के दौरान, जिसमें भाजपा ने जीत हासिल की थी) और पूछा कि क्या कांग्रेस पार्टी में कोई छिपी हुई ताकतें हैं, जो हमेशा राहुल गांधी की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाना चाहती हैं? संपादकीय में केजरीवाल के खिलाफ अन्ना हजारे की टिप्पणियों की भी आलोचना की गई है, जिसमें कहा गया है कि वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन ने कभी केजरीवाल के राजनीति में उभरने का मार्ग प्रशस्त किया था। पिछले महीने हजारे ने दिल्ली के मतदाताओं से स्वच्छ चरित्र और विचारों वाले लोगों को वोट देने का आग्रह किया था, जो देश के लिए बलिदान दे सकें और अपमान को सहन कर सकें। (एजेंसी/वेबदुनिया)