नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, 1881 (Negotiable Instruments Act, 1881) की धारा 138 के तहत इसके लिए सजा का प्रावधान है। एक अनुमान के मुताबिक चेक बाउंस से जुड़े 33 लाख से ज्यादा मामले देशभर की विभिन्न अदालतों में लंबित हैं। अकेले महाराष्ट्र में 13 अप्रैल 2022 तक 5 लाख 60 हजार से ज्यादा मामले पेंडिंग थे।
दरअसल, जब चेक धारक भुगतानकर्ता (चेक देने वाला व्यक्ति) द्वारा दिया गया चेक बैंक में प्रस्तुत करता है और पर्याप्त राशि के अभाव में बैंक द्वारा वह चेक बैंक द्वारा लौटा दिया जाता है और चेक धारक को राशि नहीं मिल पाती है। ऐसी स्थिति में इसके खिलाफ संबंधित व्यक्ति निर्धारित प्रक्रिया के तहत वैधानिक कार्रवाई कर सकता है।
कितनी हो सकती है सजा : नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के की धारा 138 के तहत चेक देने वाले व्यक्ति को दोष सिद्ध पाए जाने पर अदालत द्वारा 2 साल तक की सजा और चेक में उल्लेखित राशि से दोगुनी राशि से दंडित किया जा सकता है। इस मामले में आपराधिक शिकायत भारतीय दंड संहिता की धारा 420/406 के तहत मामला दर्ज करवाया जा सकता है।