22 जुलाई 1974 को नजफगढ़ में जन्में गहलोत ने दिल्ली विश्वविद्यालय के श्री वेंकटेश्वर कॉलेज से पढ़ाई की। वे सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाईकोर्ट वकालत कर चुके हैं। साल 2015 में पहली बार विधानसभा चुनाव जीता था। इसके बाद साल 2017 में वे दिल्ली की केजरीवाल सरकार में मंत्री बने। साल 2018 में गहलोत आयकर विभाग की जांच के दायरे में आए थे। कर चोरी के मामले में उनसे जुड़े कई परिसरों पर छापेमारी भी हुई थी।
केजरीवाल के इस्तीफे के बाद सितंबर 2024 जब आतिशी को मुख्यमंत्री बनाया गया था तब कैलाश गहलोत के पास परिवहन, कानून, न्याय और विधायी मामले, सूचना और प्रौद्योगिकी, प्रशासनिक सुधार जैसे बड़े विभाग सौंपे गए। इस समय उन्होंने खुद को केजरीवाल का हनुमान बताया था और कहा कि उनके सभी लंबित कार्यों को करूंगा पूरा।
क्यों छोड़ी पार्टी : मुख्यमंत्री आतिशी को लिखे पत्र में नजफगढ़ से विधायक गहलोत ने तत्काल प्रभाव से मंत्रिपरिषद से अपना इस्तीफा दे दिया। आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को अलग से लिखे एक पत्र में गहलोत ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से भी अपना इस्तीफा दे दिया। उन्होंने अपने त्यागपत्र में हाल में हुए विवादों और अधूरे वादों का हवाला दिया।
गहलोत ने आरोप लगाया कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय, आप अपने खुद के एजेंडे के लिए लड़ने में व्यस्त है, जिससे दिल्ली वालों को बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति रुक गई है। पार्टी को शीशमहल जैसे शर्मनाक विवादों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि लोगों के अधिकारों के लिए लड़ने के बजाय, आप अपने खुद के एजेंडे के लिए लड़ने में व्यस्त है, जिससे दिल्ली वालों को बुनियादी सेवाओं की आपूर्ति रुक गई है।