क्यों होती हैं बादल फटने की घटनाएं : मौसम विज्ञान के मुताबिक जब बादल भारी मात्रा में आर्द्रता यानी पानी लेकर आसमान में चलते हैं और इस दौरान उनकी राह में कोई अवरोध उत्पन्न हो जाता है तो वे अचानक फट जाते हैं। संघनन या दबाव (Condensation) बहुत तेजी से होता है। ऐसी स्थिति में एक सीमित इलाके में भारी से भी भारी बारिश होती है। इससे क्षेत्र में तेज बहाव वाली बाढ़ आ जाती है।
बादलों की नमी : भारत में मानसून के समय नमी लिए हुए बादल उत्तर की ओर बढ़ते हैं। हिमालय पर्वत इसमें एक बड़े अवरोधक के रूप में सामने पड़ता है। पहाड़ों की ऊंचाई बादलों को आगे नहीं बढ़ने देती है। पहाड़ों के बीच फंसते ही बादल पानी के रूप में परिवर्तित होकर बरसने लगते हैं। यही कारण हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में बादल फटने की घटनाएं तुलनात्मक रूप से ज्यादा होती हैं।
गर्म हवा का झोंका : इसके अतिरिक्त जब कोई गर्म हवा का झोंका नमी लिए हुए बादल से टकराता है, तब भी उसके फटने की आशंका बढ़ जाती है। इस संदर्भ में वर्ष 2005 में मुंबई में हुई बादल फटने की घटना इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। उस समय बादल गर्म हवा से टकराए थे। इस घटना में पूरा शहर जलमग्न हो गया था। मुंबई में हुई बादल फटने की घटना में करीब 50 लोगों की मौत हुई थी।
सबसे ज्यादा बादल फटने की घटनाएं : दरअसल, भारत में बंगाल की खाड़ी और अरब सागर से उठे मानसून के बादल जब उत्तर की ओर बढ़ते हैं, तब उनका हिमालय के क्षेत्र में फटने का खतरा सबसे ज्यादा रहता है। जब यह बादल हिमालय से टकराकर फटते हैं तो क्षेत्र में 75 मिमी/घंटा की दर से बारिश होती है।