अब सेना ऐसा 5जी नेटवर्क इस सेक्टर में चाहती है जो सिर्फ वह ही इस्तेमाल कर सके। हालांकि सेना ने इस संबंध में डीआरडीओ से भी इस समस्या पर दो सालों से लगातार संपर्क साध रखा है पर उसे कोई हल नहीं मिल पाया। जिसका परिणाम यह है कि अक्सर नेटवर्क के धोखा दे जाने के कारण सेना को आप्रेशनल तैयारियों में रूकावटों का सामना करना पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, चीन ने एलएसी पर अपने अग्रिम और कब्जे वाले इलाकों तक आप्टिकल फाइबर का जाल बिछा रखा है और भारतीय सेना मोबाइल टावरों के अतिरिक्त सेटेलाइट पर आधारित नेटवर्क पर ही टिकी हुई है जो कई बार ठीक से नहीं चल पाते थे।