Narendra Modi Birthday: नरेन्द्र मोदी 10 साल से ज्यादा समय से देश के प्रधानमंत्री हैं। वे करीब 13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री भी रहे। गुजरात में जब मोदी मुख्यमंत्री रहे तब भी उनकी सरकार पूर्ण बहुमत की थी। उन्हें कभी भी कोई निर्णय लेने में सोचना नहीं पड़ता था। प्रधानमंत्री के रूप में 10 साल केन्द्र की सत्ता भी उन्होंने इसी अंदाज में ही चलाई।
दरअसल, इस बार मोदी सरकार नीतीश कुमार की पार्टी जदयू और चंद्रबाबू नायडू की तेलुगू देशम पार्टी की बैसाखियों के सहारे चल रही है। ऐसे में फैसलों में भी पहली जैसी दृढ़ता नजर नहीं आती। सीधी भर्ती (Lateral Entry) का मामला इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। जैसे विपक्ष ने कहा कि यह आरक्षण को खत्म करने के लिए यह पहला कदम है, मोदी सरकार को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। तब कांग्रेस ने यह कहकर उनकी आलोचना की थी कि इस बार 2 दिन में ही प्रधानमंत्री मोदी ने हार मान ली। हालांकि दूसरे कार्यकाल में भी मोदी सरकार को किसान कानूनों को वापस लेना पड़ा था।
पहले जैसी दृढ़ता नहीं : ऐसा नहीं है कि प्रधानमंत्री इस बार कोई फैसले नहीं ले रहे हैं, लेकिन पहले जैसी दृढ़ता नजर नहीं आती। वक्फ कानून से जुड़ा मामला भी सहयोगी दलों के दबाव में संयुक्त संसदीय समिति को भेजना पड़ा। हालांकि पीएम मोदी ने तीसरे कार्यकाल के 100 दिन पूरा होने पर मोदी ने कहा- मेरा मजाक बनाया गया, मेरा अपमान किया गया, लेकिन मैं नीति और नियम बनाने में लगा रहा। मुझ पर दबाव का असर नहीं होता। लेकिन, हकीकत इससे थोड़ी अलग है। अब लगता है कि उन पर दबाव का भी असर होता है। यदि हरियाणा, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड चुनावों का परिणाम भाजपा की उम्मीदों के अनुरूप नहीं आता है तो इसका भी मोदी पर असर जरूर पड़ेगा।
विपक्ष का दबाव : राहुल गांधी भी लगातार मोदी सरकार पर दबाव बना रहे हैं। कांग्रेस ने मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि अल्प अवधि में ही प्रधानमंत्री ने यू-टर्न के नए कीर्तिमान स्थापित कर दिए हैं। लोकसभा चुनाव के बाद जिस 100 दिन के एजेंडे की बात की गई थी, वह असल में एक जुमला था क्योंकि उनके पास 100 दिन तो दूर, अगले 5 साल के लिए भी कोई योजना या नजरिया नहीं है। यह 100 दिन देश के किसानों, युवाओं, महिलाओं, अवसरंचना, रेलवे, अमन शांति के लिए बहुत भारी पड़े हैं।
कांग्रेस ने कहा कि 100 दिनों में पंचर गुब्बारे में हवा भरने की खूब कोशिश हुई, लेकिन जनता ने लोकसभा चुनाव में जो कील चुभाई थी, उसने नरेन्द्र मोदी सरकार को दोबारा फूलने का कोई मौका ही नहीं दिया। मोदी एक कमजोर और बैसाखियों पर आश्रित प्रधानमंत्री साबित हुए हैं, जिन्होंने यू-टर्न पर यू-टर्न करने के नए कीर्तिमान स्थापित किए हैं। नरेन्द्र मोदी 17 सितंबर को 74 साल के हो हो गए हैं। उम्र का तकाजा और सहयोगी दलों के दबाव को मोदी किस तरह हैंडल करते हैं, इसी पर उनके तीसरे कार्यकाल का दारोमदार होगा।
Edited by: Vrijendra Singh Jhala