उल्लेखनीय है कश्मीरी पंडितों पर 1990 के दशक में हुए अत्यचारों को दिखाने वाली फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' के बाद इस मामले में पूरे देश में बहस तेज हो गई। जिंदल ने राष्ट्रपति को लिखे पत्र में 1989-1990 में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के मामलों की जांच और उन मामलों को फिर से खोलने के लिए एक एसआईटी के गठन करने की मांग की है।
जिंदल ने अपनी बात के पक्ष में तर्क देते हुए कहा कि जब सिख विरोधी दंगों से संबंधित मामलों को फिर से खोला जा सकता है और जांच की जा सकती है, तो कश्मीरी पंडितों के मामलों को फिर से क्यों नहीं खोला जा सकता। इन मामलों की भी फिर से जांच की जा सकती है।
जिंदल ने अपने पत्र में कहा कि कश्मीर में घटनाओं के शिकार लोग शारीरिक, भावनात्मक और मानसिक आघात की स्थिति में थे और पिछले कई वर्षों से आजीविका के लिए संघर्ष कर रहे थे। वे अपनी शिकायतों को दर्ज कराने, बयान दर्ज कराने की स्थिति में नहीं थे और इसलिए वे न्याय से वंचित रह गए। अत: कश्मीरी पंडितों को सरकार और संबंधित अधिकारियों द्वारा एक और मौका दिया जाना चाहिए।