क्या राजे को मना पाएंगे राजनाथ? 3 राज्यों में CM फेस को लेकर जद्दोजहद
शुक्रवार, 8 दिसंबर 2023 (23:35 IST)
Assembly elections 2023 : मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ के चुनाव परिणामों को 5 दिन से भी ज्यादा वक्त हो चुका है, लेकिन पार्टी इन राज्यों में मुख्यमंत्री पद का चेहरा तय नहीं कर पाई। राजस्थान में जहां वसुंधरा अड़ी हुई हैं, वहीं मध्य प्रदेश में शिवराज 'इमोशनल दांव' चलकर अपना दावा मजबूती से पेश कर रहे हैं। ऐसे में पार्टी के लिए ये 2 राज्य मुश्किल का सबब बने हुए हैं।
इसी बीच पार्टी ने राजस्थान का मसला सुलझाने का जिम्मा रक्षामंत्री राजनाथ को सौंपा है। संभव है वे हाईकमान की मंशा के अनुरूप वसुंधरा को मना लें। हालांकि यहां रविवार को होने वाली विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री पद का फैसला हो सकता है। माना जा रहा है कि आगामी सोमवार तक तीनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के नाम फाइनल हो जाएंगे।
भाजपा ने शुक्रवार को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और जनजातीय मामलों के मंत्री अर्जुन मुंडा को क्रमश: राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी विधायक दल के नेता के चयन के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। विधायक दल के नए नेता अपने राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। तीनों राज्यों में विधायक दल की बैठक इस सप्ताहांत होने की संभावना है।
पार्टी की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक, राजस्थान में विधायक दल के नेता के चयन के लिए राजनाथ सिंह के अलावा राज्यसभा सदस्य सरोज पांडे और पार्टी महासचिव विनोद तावड़े को केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है। भाजपा के भीतर इस बात की चर्चा जोरों पर है कि पार्टी दो बार मुख्यमंत्री रहीं वसुंधरा राजे के दावों को नजरअंदाज कर सकती है और उनकी जगह किसी नए चेहरे को राज्य की कमान सौंप सकती है।
क्या राजे को मना पाएंगे राजनाथ : वहीं, जानकारों का कहना है कि सिंह को राजस्थान का पर्यवेक्षक इसलिए बनाया गया है क्योंकि वसुंधरा की गिनती उनके करीबियों में होती है। भाजपा के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार सिंह से भाजपा नेतृत्व को उम्मीद है कि वह उनकी पसंद के अनुरूप मुख्यमंत्री पद पर आम सहमति बनाने में मदद कर सकते हैं।
ऐसा इसलिए है क्योंकि कई विधायकों को राजे का समर्थन करते हुए देखा जा रहा है। राजस्थान में विधायक दल की बैठक रविवार को हो सकती है। राजस्थान में राजे के अलावा बाबा बालकनाथ योगी, गजेन्द्रसिंह शेखावत, दीया कुमारी, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के नाम भी मुख्यमंत्री पद के लिए चर्चा में हैं।
खट्टर के साथ पार्टी के ओबीसी मोर्चा के प्रमुख के. लक्ष्मण और राष्ट्रीय सचिव आशा लकड़ा भी मध्य प्रदेश की बैठक में शामिल होंगे, जबकि मुंडा के साथ केंद्रीय मंत्री सर्बानंद सोनोवाल और भाजपा महासचिव दुष्यंत कुमार गौतम छत्तीसगढ़ के लिए केंद्रीय पर्यवेक्षक होंगे। पिछले दिनों संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जीत दर्ज की थी। पार्टी ने इन चुनावों में मुख्यमंत्री पद के चेहरे की घोषणा नहीं की थी।
मध्य प्रदेश में किसका दावा मजबूत : मध्य प्रदेश में जहां भाजपा ने दो-तिहाई बहुमत के साथ बड़ी जीत हासिल की, वहां वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का दावा सबसे मजबूत माना जा रहा है, लेकिन पार्टी के भीतर राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की भी एक राय है। शिवराज के अलावा यहां प्रह्लाद पटेल, नरेन्द्र सिंह तोमर और ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी चर्चा में है।
वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव के बाद 15 महीनों को छोड़ दें तो भाजपा 18 साल से राज्य की सत्ता में है। इसलिए पार्टी के भीतर राज्य में किसी नए चेहरे पर दांव लगाने का विचार है।
छत्तीसगढ़ में हो सकती है महिला मुख्यमंत्री : सूत्रों ने कहा कि भाजपा छत्तीसगढ़ में किसी ओबीसी या आदिवासी नेता को बागडोर सौंपने पर विचार कर रही है। सूत्रों ने कहा कि लता उसेंडी, गोमती साय और रेणुका सिंह जैसे अनुसूचित जनजाति वर्ग के नेता शीर्ष पद के लिए स्वाभाविक दावेदार हैं। प्रदेश अध्यक्ष अरुण साव और नौकरशाह से राजनेता बने ओपी चौधरी भी पिछड़ी जातियों से हैं। पूर्व मुख्यमंत्री रमण सिंह को भी राज्य की बागडोर सौंपी जा सकती है।
पार्टी ऐसे समय में कम से कम एक महिला मुख्यमंत्री को चुनना चाहेगी, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा के लिए महिला मतदाताओं के समर्थन को लगातार रेखांकित कर रहे हैं और अक्सर महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास की आवश्यकता की बात करते रहे हैं। छत्तीसगढ़ के लिए तीन पर्यवेक्षकों में से दो आदिवासी समुदाय से हैं, जबकि गौतम अनुसूचित जाति से आते हैं। (एजेंसी/वेबदुनिया)