तापमान में गिरावट के साथ ही घुसपैठ के ग्राफ के बढ़ने के कारणों को स्पष्ट करते हुए सेनाधिकारी कहते हैं कि पाकिस्तान की कोशिश बर्फ के गिरने से पहले अधिक से अधिक आतंकियों को इस ओर धकेलने की है। सेनाधिकारी का कहना है कि ऐसे में एलओसी पर माहौल गर्म हो जाता है, लेकिन इस बार सुखद बात यह है कि पाकिस्तानी सेना के साथ चल रहे सीजफायर के कारण भारतीय सैनिकों को मात्र एक ही मोर्चे पर जूझना पड़ रहा है।
सेनाधिकारी इस साल के आंकड़े देते हुए कहते हैं कि 25 आतंकवादियों को 15 के करीब घुसपैठ की कोशिशों के दौरान मार गिराया गया। इतना जरूर था कि सेनाधिकारी उन्हीं आंकड़ों को देने में सक्षम हैं, जिनमें उन्होंने आतंकियों को मार गिराने में सफलता हासिल की थी, जबकि घुसपैठ में कामयाब होने वालों की बात पर वे चुप्पी तो साध ही लेते थे कोई आंकड़ा बताने में भी आनाकानी करते थे। हालांकि दबे स्वर में इसे अक्सर स्वीकार किया जाता था कि जितने आतंकी घुसपैठ के दौरान मारे जाते है, उनसे कई गुणा अधिक घुसने में कामयाब रहते हैं।
इसका स्पष्ट कारण यही था कि घुसपैठ की कोशिश करने वाले आतंकियों द्वारा अब ध्यान बंटाने वाली रणनीति अपनाई जा रही है। एक दल अगर थोड़ी सी गोलीबारी कर छुप जाता है तो दूसरा मुकाबले की कोशिश में जुट जाता है और तीसरा दल घुसने का प्रयास करने लगता है। यही पहले भी हुआ करता था। तब पाक सेना कवरिंग फायर का सहारा लेते हुए आतंकियों को धकेलती थी।
ऐसे में तापमान में आती गिरावट सेना की मुश्किलों का ग्राफ इसलिए बढ़ा रही है क्योंकि गुरेज और पुंछ के इलाकों में अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती के बावजूद आतंकी हैं कि घुसे ही चले आते हैं। उन पर रोक कैसे लगाई जाए के सवाल से जूझ रही सेना को एक ही रास्ता नजर आता है और वह यह है कि एक बार फिर सीमा पार आतंकी प्रशिक्षण केंद्रों पर इसराइल की तरह हमला बोल दिया जाए।