सेना पर खर्च करने के मामले में भारत तीसरे नंबर पर, रिपोर्ट में जानें टॉप 5 में कौन-से देश शामिल

सोमवार, 25 अप्रैल 2022 (22:05 IST)
लंदन। स्वीडन स्थित रक्षा ‘थिंक-टैंक’ सिपरी ने कहा कि पहली बार वैश्विक सैन्य व्यय 2000 अरब अमेरिकी डॉलर को पार कर गया है और दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका इस मामले में पहले नंबर पर है। रक्षा क्षेत्र के ‘थिंक-टैंक’ स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) द्वारा सोमवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में भारत का सैन्य खर्च बढ़कर 76.6 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया, जो 2020 के आंकड़ों से 0.9 प्रतिशत अधिक है।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सैन्य खर्च के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है और उसने 2021 में अपनी सेना को अनुमानित 293 अरब अमेरिकी डॉलर आवंटित किए, जो 2020 से 4.7 प्रतिशत और 2012 से 72 प्रतिशत अधिक है। भारत का सैन्य व्यय दुनिया में तीसरे नंबर पर था। भारत का सैन्य खर्च 2020 से 0.9 प्रतिशत और 2012 से 33 प्रतिशत अधिक रहा।    
 
चीन से गतिरोध का असर : 5 मई, 2020 को पैंगोंग झील क्षेत्रों में हिंसक झड़पों के बाद भारत और चीन की सेनाओं के बीच पिछले 23 महीनों से पूर्वी लद्दाख में सीमा गतिरोध कायम हैं। दोनों ओर से अभी वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं।
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थिंक-टैंक द्वारा जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में भारत का सैन्य व्यय 76.6 अरब अमेरिकी डॉलर था जो दुनिया में तीसरे नंबर पर था। भारत का सैन्य खर्च 2020 से 0.9 प्रतिशत और 2012 से 33 प्रतिशत अधिक था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने 21 अप्रैल को कहा था कि पूर्वी लद्दाख विवाद के शांतिपूर्ण हल के लिए चीन के साथ चल रही बातचीत जारी रहेगी और सैनिकों की वापसी और तनाव में कमी लाना ही आगे का रास्ता है। सिंह ने सैन्य कमांडरों के सम्मेलन में कहा था कि भारतीय सैनिक देश की क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए प्रतिकूल मौसम और शत्रुतापूर्ण ताकतों का डटकर मुकाबला कर रहे हैं।
 
बजट में सेना को प्राथमिकता : भारत ने अपने सशस्त्र बलों के आधुनिकीकरण और हथियारों के उत्पादन में आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वदेशी हथियार उद्योग को मजबूत बनाने के लिए, 2021 के भारतीय सैन्य बजट में पूंजी परिव्यय का 64 प्रतिशत घरेलू उत्पादित हथियारों की खरीद के लिए निर्धारित किया गया था। 
 
ये हैं 5 बड़े देश : इसमें कहा गया है कि 2021 में सैन्य खर्च करने वाले पांच सबसे बड़े देशों में अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस थे जो कुल मिलाकर दुनिया के सैन्य खर्च का 62 प्रतिशत हिस्सा था। अकेले अमेरिका और चीन का हिस्सा 52 प्रतिशत था।’’
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क्या कहती है रिपोर्ट : स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि 2021 में कुल वैश्विक सैन्य खर्च वास्तविक रूप से 0.7 प्रतिशत बढ़कर 2,113 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में सबसे ज्यादा रक्षा व्यय करने वाले पांच देशों में अमेरिका, चीन, भारत, ब्रिटेन और रूस थे जिन्होंने कुल मिलाकर 62 प्रतिशत खर्च किए।
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में भी वैश्विक सैन्य खर्च बढ़ता रहा और यह 2,113 अरब अमेरिकी डॉलर के सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंच गया। यह लगातार सातवां साल था जब रक्षा खर्च बढ़ा। सिपरी के सैन्य व्यय और हथियार उत्पादन कार्यक्रम के वरिष्ठ शोधकर्ता डिएगो लोप्स डॉ. सिल्वा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बीच आर्थिक गिरावट के बाद भी विश्व सैन्य व्यय रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया।
रिपोर्ट में कहा गया है कि  मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक विकास दर में मंदी थी। हालांकि... सैन्य खर्च में 6.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसमें कहा गया है कि 2021 में अमेरिकी सैन्य खर्च 801 अरब अमेरिकी डॉलर था, जो 2020 की तुलना में 1.4 प्रतिशत कम है। अमेरिकी सैन्य खर्च 2020 में जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 3.7 प्रतिशत था जो 2021 में थोड़ा कम होकर 3.5 प्रतिशत हो गया।
 
रिपोर्ट के अनुसार 2012 से 2021 के बीच सैन्य अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) मद में अमेरिकी व्यय में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जबकि इसी अवधि में हथियारों की खरीद पर हुए व्यय में 6.4 प्रतिशत की गिरावट आई। इस बीच रूस का सैन्य खर्च 2021 में 2.9 प्रतिशत बढ़कर 65.9 अरब डॉलर हो गया वहीं 2014 में क्रीमिया पर कब्जे किए जाने के बाद से यूक्रेन के सैन्य खर्च में 72 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन सैन्य खर्च के मामले में विश्व में दूसरे नंबर पर है और उसने 2021 में अपनी सेना को अनुमानित 293 अरब अमेरिकी डालर आवंटित किए, जो 2020 से 4.7 प्रतिशत अधिक है।

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