खतरे में है आपका आधार, बैंक अकाउंट और प्रोविडेंट फंड का पैसा
गुरुवार, 3 मई 2018 (11:08 IST)
नई दिल्ली। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की वेबसाइट से पीएफधारकों के डाटा चोरी होने की खबरें हैं लेकिन संगठन इस बात से साफ इनकार कर रहा है कि कोई डाटा लीक हुआ है। दो दिन में दो बार ईपीएफओ इस मामले में सफाई दे चुका है। लेकिन, खतरा तो है क्योंकि, बिना किसी गड़बड़ी के वेबसाइट को बंद नहीं किया जाता। सेवाएं नहीं रोकी जाती हैं।
ऐसे में 17 करोड़ मेंबर्स की पर्सनल डिटेल्स खतरे में है। साथ ही इन डिटेल्स का गलत इस्तेमाल भी हो सकता है। खतरे में सिर्फ आधार नहीं है बल्कि डिटेल्स के जरिए पीएफ खाते से पैसा भी निकाला जा सकता है। आपके लिए यह जानना जरूरी है कि ईपीएफओ के डाटा बेस में आपकी जो डिटेल्स हैं उनके चोरी होने या लीक होने पर क्या नुकसान हो सकता है।
हैकिंग का खतरा बना हुआ है : बैंकिंग एक्सपर्ट विवेक मित्तल के मुताबिक, डाटा लीक का सबसे बड़ा खतरा यह होता है कि आपकी पर्सनल डिटेल्स कई तरह के लोगों से शेयर होती है। ऐसे में आपके बैंक खाते और पीएफ खाते को हैक किया जा सकता है। आपके बैंक अकाउंट से पैसा निकाला जा सकता है। इसे एक तरह की फिशिंग कहते हैं और ईपीएफओ से डाटा लीक होने का मतलब है कि आपका पूरा केवाईसी डिटेल्स लीक हो जाना।
आधार भी खतरे में : ईपीएफओ डाटा बेस में पीएफधारकों ने अपना आधार नंबर दर्ज कराया हुआ है। दरअसल, 2016 के बाद से ऑनलाइन पीएफ निकासी और पीएफ ट्रांसफर के लिए आपको अपने यूनीवर्सल अकाउंट नंबर से आधार को जोड़ना होता है। अब अगर मान लिया जाए कि पीएफ डाटा लीक हुआ है तो यह भी पक्का है कि आपका आधार भी सुरक्षित नहीं है क्योंकि, आपके पीएफ डाटा के साथ आपके अकाउंट की डिटेल्स भी होती हैं, जिन्हें हासिल करना किसी भी हैकर के लिए संभव है।
खतरे में बैंक खाता : ईपीएफओ डाटा बेस में आधार के अलावा आपका बैंक खाता भी दर्ज होता है। पीएफ निकासी के समय ईपीएफओ इसी खाते में आपका पैसा जमा करता है। लेकिन पीएफ डाटा लीक होने से आपका बैंक भी हैक किया जा सकता है। अगर इसी अकाउंट से आप ऑनलाइन ट्रांजैक्शन भी करते हैं तो यह और बड़ा खतरा है क्योंकि बैंक खाते के हैक होने का चांस ज्यादा होता है। नेट बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग जैसी सर्विस का इस्तेमाल करने पर खतरा बढ़ सकता है।
मोबाइल नंबर से भी खतरा : डिजिटल सर्विस होने के बाद से ईपीएफओ सदस्य अपना सारा काम मोबाइल या ऑनलाइन ही करते हैं। साथ ही खाता खुलवाते वक्त या बाद में हर किसी ने अपना मोबाइल नंबर भी इसमें दर्ज कराया है। अगर ईपीएफओ में दर्ज मोबाइल नंबर और नेट बैंकिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले नंबर एक ही है, तो इससे फ्रॉड का खतरा बढ़ सकता है। क्योंकि, ज्यादातर लोग ओटीपी की मदद से ट्रांजैक्शन करते हैं। अगर मोबाइल नंबर हैक होता है तो हैकर ओटीपी का भी इस्तेमाल आसानी से कर सकते हैं।
खतरे में PF अकाउंट : ईपीएफओ से डाटा लीक होने पर सबसे बड़ा खतरा यही है कि आपके पीएफ अकाउंट से पैसा निकाला जा सकता है। डाटा लीक होने पर आपका आधार, मोबाइल नंबर, डेट ऑफ बर्थ, बैंक अकाउंट नंबर और पीएफ अकाउंट नंबर जैसी जरूरी जानकारी दूसरे के हाथ लगती है। इसका इस्तेमाल वह धोखाधड़ी के लिए कर सकता है।
EPFO ने सफाई में क्या कहा : डाटा लीक और वेबसाइट हैक होने की खबरों के बाद EPFO और श्रम मंत्रालय ने बयान जारी किया कि कोई डाटा लीक नहीं हुआ है। पीएफ खाताधारकों का डाटा पूरी तरह सुरक्षित है। कुछ सेवाएं सुरक्षा के लिहाज से बंद की गई हैं। साथ ही आधार संबंधित जानकारियां भी पूरी तरह सुरक्षित हैं। आधार डाटा लीक होने का सवाल ही पैदा नहीं होता।