अपनी बात के समर्थन में शेयर मार्केट का उदाहरण देते हुए आलोक कहते हैं कि बाजार एक ही तरह से चलता है, लेकिन कुछ पैसा गंवाते हैं तो कुछ कमाते हैं। इसमें मार्केट का कोई दोष नहीं है, इसके पीछे व्यक्ति का व्यवहार ही होता है। जैसे- लालच, भय आदि। जैसी परिस्थितियों में वह निर्णय लेता है, उसी के अनुरूप वह नफा-नुकसान भी उठाता है। हमारा प्रयास रहता है कि उनके व्यवहार को संतुलित कैसे किया जाए, ताकि वे सही निर्णय ले सकें।