Navratri mein akhand jyot jalane ke niyam: नवरात्रि, जो देवी दुर्गा की आराधना का महापर्व है, नौ दिनों तक चलता है। इन नौ दिनों के दौरान भक्तजन मां दुर्गा की कृपा पाने के लिए कई तरह के अनुष्ठान करते हैं। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है अखंड ज्योति जलाना। 'अखंड' का अर्थ है जो खंडित न हो। यानी एक ऐसी ज्योति जो पूरे नौ दिनों तक बिना बुझे जलती रहे। यह ज्योति न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह घर में सुख, समृद्धि और सकारात्मकता भी लाती है।
अखंड ज्योति जलाने के कुछ विशेष नियम हैं, जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन न करने पर पूजा का पूर्ण फल नहीं मिल पाता। आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में।
1. दीपपात्र और घी का चुनाव
अखंड ज्योति जलाने के लिए पीतल का दीपपात्र सबसे शुभ माना जाता है। यदि आपके पास पीतल का पात्र न हो, तो आप मिट्टी का दीपक भी इस्तेमाल कर सकते हैं। बस, यह ध्यान रखें कि दीपपात्र बड़ा और गहरा हो, ताकि इसमें पर्याप्त मात्रा में तेल या घी आ सके।
ज्योति जलाने के लिए सबसे उत्तम शुद्ध देसी घी का इस्तेमाल करना चाहिए। अगर शुद्ध घी उपलब्ध न हो, तो तिल का तेल या सरसों का तेल भी प्रयोग किया जा सकता है। यह सुनिश्चित करें कि तेल पूरी तरह से शुद्ध और मिलावट रहित हो, क्योंकि मां दुर्गा की पूजा में शुद्धता सर्वोपरि है।
2. संकल्प और देवी-देवताओं का आह्वान
अखंड ज्योति जलाने से पहले, पूरे भक्तिभाव से हाथ जोड़कर श्रीगणेश, देवी दुर्गा और शिवजी की आराधना करें। दीपक प्रज्ज्वलित करते समय अपने मन में अपनी मनोकामना सोच लें। मां से प्रार्थना करें कि आपकी पूजा स्वीकार हो और आपकी मनोकामना पूर्ण हो। यह संकल्प लेना बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपकी भक्ति को दिशा देता है और पूजा को सार्थक बनाता है।
3. विशेष बाती का प्रयोग
अखंड ज्योति की बाती का विशेष महत्व होता है। यह बाती रक्षासूत्र (कलावा) से बनाई जाती है। सवा हाथ का रक्षासूत्र लेकर उसे बाती की तरह मोटा करके दीपक के बीच में रखें। रक्षासूत्र से बनी बाती मजबूत होती है और यह नौ दिनों तक लगातार जल सकती है, जिससे ज्योति के बुझने का खतरा कम होता है।
4. सही दिशा और सुरक्षा
अखंड ज्योति को सही दिशा में रखना बहुत जरूरी है। ज्योति को हमेशा चौकी या पटरे पर रखकर ही जलाना चाहिए। ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) को देवी-देवताओं का स्थान माना गया है, इसलिए ज्योति को पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके रखना चाहिए।
ज्योति की लौ को हवा से बचाने के लिए उसे कांच की चिमनी से ढककर रखना चाहिए। इससे न केवल लौ सुरक्षित रहती है, बल्कि यह लगातार जलती रहती है। संकल्प का समय पूरा होने के बाद, दीपक को फूंक मारकर या किसी भी गलत तरीके से नहीं बुझाना चाहिए, बल्कि उसे स्वयं ही शांत होने देना चाहिए।
5. पूजा के दौरान स्वच्छता और देखभाल
नौ दिनों तक अखंड ज्योति को जलाए रखने के लिए उसकी निरंतर देखभाल जरूरी है। तेल या घी को बीच-बीच में ध्यान से भरते रहें, ताकि बाती कभी खाली न रहे। पूजा के स्थान पर हमेशा सफाई बनाए रखें और परिवार का कोई भी सदस्य बिना हाथ-पैर धोए उस स्थान पर न जाए।
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