Saptami kalratri mata Puja 2024: नवपत्रिका पूजा दिवस को महा सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है। इसी दिन निशा पूजा भी होती है। सप्तमी की देवी मां कालरात्रि हैं। पूर्वोत्तर और बंगाल में सप्तमी का खास महत्व रहता है। इस दिन से ही दुर्गापूजा का महापर्व प्रारंभ होता है। यह पूजा खासकर असम, बंगाल और ओडिशा में होती है। नवपत्रिका यानी 9 पत्तों से माता दुर्गा की पूजा करने का खास महत्व होता है। नवपत्रिका को कलाबाऊ पूजा भी कहते हैं।
नवरात्रि की सप्तमी को निशा या महानिशा पूजा का महत्व
नवरात्रि में नवपत्रिका पूजा का मुहूर्त और विधि
क्या होती है नवपत्रिका और निशा पूजा, जानिए
नवपत्रिका के दिन सूर्योदय- प्रात: 05 बजकर 55 मिनट पर होगा।
क्या होती है निशा पूजा : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार निशा का अर्थ होता है रात्रि काल। नवरात्रि के नौ दिनों में अष्टमी के दिन को खास माना जाता है। अष्टमी तिथि का प्रारंभ रात में होता है तो तब उस समय भी पूजा कर सकते हैं। हालांकि सप्तमी की रात को निशीथ काल में निशा पूजा की जाती है। सप्तमी के रात में ही अष्टमी निशा पूजा होती हैं। उसी दिन रात में संधी पूजा भी की जाती है। संधि पूजा का मतलब होता है जब सप्तमी समाप्त होगी तब।
नवपत्रिका पूजा विधि:
सप्तमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर महा स्नान किया जाता है।
इसके बाद सभी नौ पत्तों को एक साथ बांधकर उन्हें भी स्नान कराया जाता है।
महा स्नान के बाद पारंपरिक साड़ी यानी लाल बॉर्डर वाली सफेद साड़ी पहनते हैं।
इसी तरह की साड़ी से नवपत्रिका और पूजा स्थल को भी सजाया जाता है।
इसके बाद मां दुर्गा की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा की जाती है।
प्राण प्रतिष्ठा के बाद षोडशोपचार पूजा की जाती है।
षोडशोपचार यानी 16 प्रकार की सामग्री से पूजा करते हैं।
इसमें जल, फल, फूल, चंदन, कंकू, नैवेद्य, 16 श्रंगार आदि अर्पित करके मां दुर्गा का पूजन किया जाता है।
अंत में मां दुर्गा की महाआरती होती है और प्रसाद का वितरण किया जाता है।