Dev uthani ekadashi deep daan: देव उठनी एकादशी पर कितने दीये जलाएं

WD Feature Desk

शुक्रवार, 31 अक्टूबर 2025 (09:20 IST)
Tulsi vivah par kitne diye jaate hai: देवउठनी एकादशी (प्रबोधिनी एकादशी) पर दीये जलाना अत्यंत शुभ माना जाता है, क्योंकि यह दिन भगवान विष्णु के चार माह की योगनिद्रा से जागने का उत्सव होता है। दीये जलाने की संख्या के संबंध में कोई कठोर नियम नहीं है, लेकिन धार्मिक मान्यता और परंपरा के अनुसार निम्नलिखित संख्या में दीये जलाना सर्वाधिक प्रचलित और शुभ माना जाता है। तुलसी विवाह पर आप 1, 5, 11, 21, 51 या 108 दीये जला सकते हैं, हालांकि 5 दीये जलाना बहुत शुभ माना जाता है। मुख्य रूप से गाय के शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए और इसे तुलसी के पौधे के पास जलाना चाहिए। 
 
देव उठनी एकादशी पर दीये जलाने की शुभ संख्याएं
11 दीये (सबसे आम और शुभ): देवउठनी एकादशी की पूजा में 11 दीये जलाना बहुत शुभ माना जाता है। ये दीये इन स्थानों पर रखे जाने चाहिए।
तुलसी माता के पास/गमले में: कम से कम 1 या 5 दीये।
भगवान विष्णु/शालिग्राम जी की चौकी पर: 1 दीया।
घर के मुख्य द्वार पर: 2 दीये (दोनों ओर)।
रसोई में: 1 दीया।
पीपल के पेड़ के नीचे: 1 दीया।
मंदिर में: 1 दीया।
 
1 दीया: रात में रसोई में एक दीपक जलाना शुभ होता है। इससे घर में अन्न और धन का भंडार हमेशा भरा रहता है। घर के मंदिर में श्री हरि के सामने एक दीपक जलाएं। यदि संभव हो तो पीपल के पेड़ के नीचे भी दीपक जलाकर उसकी सात परिक्रमा करें, इससे कर्ज से मुक्ति और धन लाभ के योग बनते हैं। 
 
2 दीये: मुख्य द्वार के दोनों ओर एक-एक दीपक जलाएं। इससे घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और सुख-समृद्धि बनी रहती है। 
 
5 दीये: यदि आप अधिक दीये नहीं जला सकते, तो 5 दीये जलाना अनिवार्य रूप से शुभ माना जाता है। ये पाँच दीये पंचदेवों (गणेश, शिव, शक्ति, सूर्य और विष्णु) या पंचतत्वों का प्रतिनिधित्व करते हैं। 
 
देव उठनी एकादशी पर तुलसी के पास 5 घी के दीपक जलाने का विशेष महत्व है, क्योंकि यह वैवाहिक जीवन में सुख, शांति और धन लाभ के लिए शुभ माना जाता है। इसके अलावा, आप घर के मंदिर, मुख्य द्वार और रसोई में भी एक-एक दीपक जला सकते हैं। 
 
तुलसी के पौधे के पास: शाम को 5 घी के दीपक जलाएं। इससे वैवाहिक जीवन की मुश्किलें दूर होती हैं, घर में प्यार बढ़ता है और मां लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है। 
 
7 दीये: कुछ क्षेत्रों में 7 दीये जलाए जाते हैं, जो सप्ताह के सातों दिन और सात लोकों का प्रतीक होते हैं।
 
11,000 दीये (महापुण्य): यदि कोई भक्त सामर्थ्यवान है, तो कार्तिक मास की तरह एकादशी पर भी 11,000 दीये जलाकर दान करने का संकल्प ले सकता है, जिसे महापुण्यकारी माना जाता है।
 
11 बत्तियों वाला दीपक: पीपल के वृक्ष के नीचे 11 बत्तियों का दीपक जलाने से भी भगवान विष्णु मनोकामना पूरी करते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करते समय चारमुखी दीपक जलाना भी शुभ होता है, जो चारों दिशाओं में सुख-शांति लाता है।
 
आपके सामर्थ्य और सुविधा के अनुसार, आप 5, 7, या 11 दीये जला सकते हैं। महत्वपूर्ण संख्या की बजाय घी/तेल शुद्ध हो और दीया ईमानदार श्रद्धा के साथ जलाया जाए। सबसे आवश्यक और महत्वपूर्ण दीया तुलसी माता के पास (तुलसी चौरे में) जलाया जाता है, क्योंकि इस दिन माता तुलसी का विवाह भगवान शालिग्राम से होता है और वह देवी लक्ष्मी का स्वरूप हैं।

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