* नवरात्रि : देवी दुर्गा की आराधना का प्रमुख पर्व...
देवी दुर्गा की आराधना के पर्व चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक 9 दिन के होते हैं, परंतु प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन नवरात्र (नवरात्रि) ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवी भक्त आश्विन नवरात्र अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय नवरात्र कहते हैं।
नौ रात्रि से पूर्ण होता नवरात्र : स्त्री हो या पुरुष, सबको नवरात्र करना चाहिए। यदि कारणवश स्वयं न कर सकें तो प्रतिनिधि (पति, पत्नी, ज्येष्ठ पुत्र, सहोदर या ब्राह्मण) द्वारा कराएं। नवरात्र 9 रात्रि पूर्ण होने से पूर्ण होता है इसलिए यदि इतना समय न मिले या सामर्थ्य न हो तो 7, 5, 3 या 1 दिन व्रत करें और व्रत में भी उपवास, अयाचित नक्त या एकभुक्त, जो बन सके यथा सामर्थ्य वही कर लें।
उदाहरणार्थ एक ओर देवी भागवत, कालिका पुराण, मार्कंडेय पुराण, नवार्ण मंत्र के पुरश्चरण और दुर्गा पाठ की शतसहस्रायुत चंडी आदि होते हैं तो दूसरी ओर श्रीमद्भागवत, अध्यात्म रामायण, वाल्मीकि रामायण, तुलसीकृत रामायण, राममंत्र-पुरश्चरण, 1, 3, 5 या 7 दिन की या 9 दिन की अखंड राम नाम ध्वनि और रामलीला आदि किए जाते हैं। यही कारण है कि ये 'देवी-नवरात्र' और 'राम-नवरात्र' नामों से प्रसिद्ध हैं।