तथा समय-समय पर गौदान, छायादान (कांसे के कटोरे में घी भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर) तथा गाय, कुत्ता, चींटी, भिक्षुक, ब्राह्मण इत्यादि यथाशक्ति नित्य अन्नदान करें। पीपल में जल तथा तेल का दीपक लगाएं। हनुमानजी के दर्शन तथा हनुमान चालीसा के पाठ नित्य करें।
उपरोक्त मंत्र के जाप 21, 51 व 108 माला नित्य करें तथा उन ग्रहों के दिनों पर उपवास अधिक लाभ देगा। यदि पितृदोष, कालसर्प दोष, ग्रहण दोष, चांडाल योग हों तो निम्न मंत्रों के जप निश्चित ही लाभ देंगे।