इस बार मातारानी स्वर्ग से धरती घोड़े पर सवार होकर आई हैं। पुन: प्रारंभ हो गए शुभ दिन। इसके पूर्व ऐसा शुभ संयोग 1962 में पड़ा था। शनिवार से नवरात्रि शुरू हो गई है। 16 अक्टूबर तक मलमास था और 17 अक्टूबर से घटस्थापना के साथ देवी के 9 दिनों की नवरात्रि यानी दुर्गा पूजा का शुभारंभ हो गया। हर साल नवरात्रि के साथ एक नए जोश का आगाज माना जाता है, क्योंकि उसके बाद से एक के बाद एक त्योहारों का अंबार लग जाता है। हालांकि इस बार कोरोना का प्रभाव जो हिन्दुस्तान में होली के मौके से दिखना शुरू हुआ था, वो अब दिवाली तक कायम है, इसीलिए सभी गाइडलाइंस का पालन करते हुए नवरात्रि मनाएं।
कब से शुरू होगी नवरात्रि, जानें तिथियां
17 अक्टूबर 2020 (शनिवार)- प्रतिपदा : घटस्थापना
18 अक्टूबर 2020 (रविवार)- द्वितीया : मां ब्रह्मचारिणी पूजा
19 अक्टूबर 2020 (सोमवार)- तृतीया : मां चंद्रघंटा पूजा
20 अक्टूबर 2020 (मंगलवार)- चतुर्थी : मां कूष्मांडा पूजा
21 अक्टूबर 2020 (बुधवार)- पंचमी : मां स्कंदमाता पूजा
22 अक्टूबर 2020 (गुरुवार)- षष्ठी : मां कात्यायनी पूजा
23 अक्टूबर 2020 (शुक्रवार)- सप्तमी : मां कालरात्रि पूजा
मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आईं और भैंसे पर सवार होकर जाएंगी
शनिवार के दिन नवरात्रि का पहला दिन होने के कारण इस दिन मां दुर्गा घोड़े की सवारी करते हुए पृथ्वी पर आईं है। नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना के साथ ही नवरात्रि शुरू हो गई है। साथ ही विभिन्न पंडालों में मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित कर मां शक्ति की आराधना की जाती है। नवरात्रि पर मां दुर्गा के धरती पर आगमन का विशेष महत्व होता है। देवीभागवत पुराण के अनुसार नवरात्रि के दौरान मां दुर्गा का आगमन भविष्य में होने वाली घटनाओं के संकेत के रूप में भी देखा जाता है। हर वर्ष नवरात्रि में देवी दुर्गा अलग-अलग वाहनों में सवार होकर आती हैं और उसका अलग-अलग महत्व होता है। शारदीय नवरात्रि आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तक मनाई जाती है। शरद ऋतु में आगमन के कारण ही इसे 'शारदीय नवरात्रि' कहा जाता है।
आरंभ हो जाएंगे शुभ कार्य
नवरात्रि का पर्व आरंभ होते ही शुभ कार्यों की भी शुरुआत हो जाएगी। मलमास में शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है। मलमास में शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं, लेकिन नवरात्रि आरंभ होते ही नई वस्तुओं की खरीद, मुंडन कार्य, ग्रह प्रवेश जैसे शुभ कार्य आरंभ हो जाएंगे। शादी-विवाह देवउठनी एकादशी तिथि के बाद ही आरंभ होंगे। नवरात्रि में देरी के कारण इस बार दीपावली 14 नवंबर को मनाई जाएगी।
पूजा विधि
सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।
घर के किसी पवित्र स्थान पर स्वच्छ मिट्टी से वेदी बनाएं।
वेदी में जौ और गेहूं दोनों को मिलाकर बोएं।
वेदी के पास धरती मां का पूजन कर वहां कलश स्थापित करें।
इसके बाद सबसे पहले प्रथम पूज्य श्री गणेश की पूजा करें।
वैदिक मंत्रोच्चार के बीच लाल आसन पर देवी मां की प्रतिमा स्थापित करें।
माता की कुमकुम, चावल, पुष्प व इत्र इत्यादि से विधिपूर्वक पूजा करें।
नि:संतान को संतान, निर्धन को धन और रोगी को निरोगी बनाने की शक्ति केवल मां जगत-जननी में ही है।